उद्देश्य से 2,661 बीघा का क्षेत्र एएसआई को सौंप दिया गया था। उन्होंने कहा कि आज तक 50% से ज्यादा क्षेत्र पर अवैध रूप से लोगों का कब्जा है। चिपकाए गए नोटिस में कहा गया है कि तुगलकाबाद किला क्षेत्र के अंदर के बने अवैध ढांचों, मकानों के कब्जेदार/अतिक्रमणकर्ता को नोटिस के जारी होने की तारीख से 15 दिनों की अवधि के भीतर सभी अवैध निर्माणों/अतिक्रमणों को अपने खर्चे से हटा दें। ऐसा न करने पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें विध्वंस/बेदखली शामिल है। इस कार्रवाई की लागत भी उनसे ही वसूली जाएगी।
तुगलकाबाद किले के रूप में इसकी दीवारों, एंट्री गेट, किलों, आंतरिक और बाहरी दोनों गढ़ों की आंतरिक इमारतों और किलेबंदी की दीवारों को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है, किसी को भी केंद्रीय अनुमति के बिना किसी भी तरह से किसी भी इमारत का निर्माण करने या क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।’ प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा 19 के अनुसार, संरक्षित क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी तरह की इमारत का निर्माण नहीं कर सकता। इसके अलावा अधिनियम की धारा 20 A कहती है कि संरक्षित सीमा से 100 मीटर का क्षेत्र ‘वर्जित’ है जिसमें नए निर्माण की अनुमति नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले पर पहले ही निर्देश चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 फरवरी 2016 को अपने आदेश में किला क्षेत्र से अतिक्रमण और अवैध ढांचों को हटाने का निर्देश दिया था। इसी तरह दिल्ली हाई कोर्ट ने भी अक्टूबर 2016 में एक आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि किले में आगे कोई निर्माण या अतिक्रमण नहीं किया जाना चाहिए। 2017 और 2022 में अदालत ने आगे निर्देश दिया कि किले की बाहरी दीवारों के भीतर भूमि के संबंध में कोई संपत्ति का लेन-देन नहीं होगा।