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मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक, जानें इसका अर्थ

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पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस शोक अवधि के दौरान, भारत में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा।

आधे मस्तूल पर ध्वज और सरकारी अवकाश

राजकीय शोक की अवधि के दौरान, उन सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां इसे नियमित रूप से प्रदर्शित किया जाता है। इसके साथ ही, सात दिनों तक कोई सरकारी मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे। विदेशों में सभी भारतीय मिशनों और उच्चायोगों से भी इस शोक का पालन करने का अनुरोध किया गया है।

इसके अलावा, कर्नाटक के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने 26 दिसंबर से 7 दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। 27 दिसंबर को दिवंगत नेता के सम्मान में सरकारी अवकाश भी घोषित किया गया है।

डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब में हुआ था। उन्होंने 2004 से 2014 तक दो बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। पहले कार्यकाल में, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए को हराकर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद उन्होंने 2009 से 2014 तक अपना दूसरा कार्यकाल पूरा किया। 2014 में नरेंद्र मोदी ने उनके बाद प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी और सादगी का प्रतीक था और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। मोदी ने यह भी कहा कि डॉ. सिंह का जीवन एक प्रेरणा है कि कैसे कोई व्यक्ति संघर्षों से ऊपर उठकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।

मनमोहन सिंह का सार्वजनिक जीवन

मनमोहन सिंह ने अप्रैल 2024 में राज्यसभा से सेवानिवृत्ति के साथ सार्वजनिक जीवन से संन्यास लिया था। वे अपने चुपचाप और विनम्र तरीके से राजनीति से बाहर हुए, जैसा कि उन्होंने 33 साल पहले राजनीति में कदम रखा था। वे भारत के आर्थिक सुधारों के मुख्य वास्तुकार माने जाते हैं और उनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में सदैव अमिट रहेगा।

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा रहेगा।

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