सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका को कुछ परीक्षार्थियों ने कथित प्रश्नपत्र लीक के बाद दायर किया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विचार करने से मौजूदा स्थिति में अराजकता फैल सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार 21 अगस्त को नए सिरे से परीक्षा आयोजित कर रही है, और लगभग नौ लाख छात्रों को अब किसी भी प्रकार की “निश्चितता” की आवश्यकता है।
मुख्य न्यायाधीश ने प्रवीण डबास और अन्य द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि “इस स्तर पर कोई भी कदम उठाने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं और हर तरफ अराजकता फैल सकती है।” कोर्ट ने कहा कि परीक्षा 18 जून को आयोजित की गई थी और उसके एक दिन बाद इसे रद्द कर दिया गया था। मौजूदा स्थिति में इस याचिका पर विचार करने से केवल अनिश्चितता बढ़ेगी और हालात और भी बिगड़ सकते हैं।
इससे पहले भी, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने वकील से कहा था कि छात्रों को खुद अपनी समस्याओं के लिए कोर्ट में आना चाहिए, न कि किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा प्रक्रिया को बिना बाधा के चलने देना चाहिए, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।