500 वर्षों तक अनेक पीढ़ियों ने लगकर, परिश्रम कर, बलिदान देकर यह आनंद और गौरव का दिन उपलब्ध कराया है। उन सबके प्रति कृतज्ञता का दिन है। उन्होंने कहा कि आज का आनंद शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है। आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का स्व लौट आया है। संपूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत उठ खड़ा होगा, इसका यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम साक्षी बन रहा है। सब में आनंद है, सब में उमंग है।
चार मूल अपनाएं
भागवत ने कहा कि रामराज्य के नागरिक निरदंभ, प्रामाणिकता से व्यवहार करने वाले थे। धर्मरत थे। श्रीमद्भागवत में धर्म के चार मूल बताए गए हैं। सत्य, करुणा, शुचिता व तपस। इसका युग के अनुकूल आचरण किया जाना चाहिए।
भागवत ने मोदी की प्रसंसा करते हुये बोले-तपस्वी हैं मोदी
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्राण प्रतिष्ठा में पधारने से पहले आपने कठोर तप किया। जितना कठोर व्रत रखने के लिए कहा था, उससे कई गुना अधिक कठोर व्रत किया। भागवत ने कहा, मेरा उनसे पुराना परिचय है, मैं जानता हूं कि वह बड़े तपस्वी हैं ही। पर वह अकेले तप कर रहे हैं। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम भी देश के लिए तपस्या करें।
स्वामी गोविंद देव गिरि ने पीएम मोदी को राजर्षि तथा समय, युग व सनातन के अंत:करण की आवश्यकता बताया। गिरि ने कहा, अनेक कारण मिलते-मिलते विशिष्ट स्तर पर पहुंच पाते हैं। इस स्तर पर कोई एक महापुरुष उपलब्ध होता है। उस विभूति के कारण युग परिवर्तित हो जाता है। ऐसा परिवर्तन लाने के लिए जीवन को साधना पड़ता है। हमारे देश की परंपरा में आज के समय, युग व सनातन के अंत:करण की आवश्यकता के अनुरूप ऐसा जीवन साधने वाला प्रधानमंत्री प्राप्त हुआ है। यह केवल देश का नहीं, संपूर्ण विश्व का सौभाग्य है कि आज ऐसा राजर्षि हमें मिला है। उन्होंने कहा, मेरी नजर में ऐसा एक ही तपस्वी शासक हुआ है-छत्रपति शिवाजी। वैसा ही तप आपने किया।
गिरि ने कहा, ऐसा तपस्वी राष्ट्रीय नेता मिलना सामान्य बात नहीं है। हम लोगों ने विदेश प्रवास से मना किया। वजह, सांस्कृतिक दोष भी आते हैं। उन्होंने विदेश प्रवास टाल दिया, लेकिन नासिक से रामेश्वरम तक की देशभर में यात्रा कर वहां के दिव्य आत्माओं को राष्ट्र को महान बनाने का आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया।