मा नः समस्य दूढ्यः परिद्वेषसो अंहतिः।
ऊर्मिर्न नावमा वधीत्॥ ऋग्वेद ८-७५-९॥
दुर्बुद्धि, द्वेष करने वाले मनुष्यों से दूर रहें। द्वेष की भावना अपने अंदर ना पनपने दें। जिस प्रकार समुद्र की विकराल लहरें नाव को नष्ट कर देती हैं उसी प्रकार द्वेष हमारे जीवन को हानि पहुंचाता है।
ill-intentioned, hateful people. Don’t letn ji the feeling of hatred grow inside you. Just as the fierce waves of the ocean destroy the boat, hatred harms our lives.