( नेशनल थोट्स ) रिया बचपन से ही विज्ञान में रुचि रखती थी। 10 साल की उम्र में ही उसने अपने पिता की प्रयोगशाला में काम करना शुरू कर दिया था। वर्षों की मेहनत के बाद, रिया ने एक ऐसा उपकरण बनाया जो मनुष्यों के विचारों को पढ़ने और उन्हें शब्दों में बदलने में सक्षम था।
यह उपकरण एक हेडबैंड था जिसे पहनने से व्यक्ति के विचारों को कंप्यूटर में भेजा जाता था। कंप्यूटर उन विचारों को भाषा में बदल देता था रिया इस प्रयोग को लेकर बहुत उत्साहित थी। उसने सोचा कि यह उपकरण मानव संचार में क्रांति ला सकता है।
रिया ने इस प्रयोग का परीक्षण करने के लिए कुछ लोगों को चुना। उसने उन्हें हेडबैंड पहनाया और उनसे कुछ सोचने के लिए कहा कुछ देर बाद, कंप्यूटर ने उन लोगों के विचारों को शब्दों में बदलना शुरू कर दिया। रिया बहुत खुश थी। यह प्रयोग सफल रहा था।
लेकिन रिया को जल्द ही एहसास हुआ कि यह उपकरण कुछ खतरों से भी जुड़ा हुआ है। अगर यह उपकरण गलत हाथों में पड़ गया तो इसका इस्तेमाल गलत कामों के लिए भी किया जा सकता था। रिया ने यह उपकरण केवल अच्छे कामों के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया।
उसने इस उपकरण का इस्तेमाल करके कई लोगों की मदद की। उसने इस उपकरण का इस्तेमाल करके अपराधियों को पकड़ने और लोगों को खतरों से बचाने में भी मदद की।रिया की कहानी हमें सिखाती है कि विज्ञान का इस्तेमाल अच्छे और बुरे दोनों कामों के लिए किया जा सकता है।
सार
एक युवा वैज्ञानिक, रिया, एक अनोखा प्रयोग कर रही थी। यह प्रयोग मनुष्यों के विचारों को पढ़ने और उन्हें शब्दों में बदलने की क्षमता रखता था।