रविचंद्रन अश्विन ने हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धर्मशाला में आखिरी टेस्ट के बाद, जब हेड कोच राहुल द्रविड़ से सीरीज के सबसे शानदार पल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अश्विन की वापसी को सबसे शानदार बताया था। दरअसल, राजकोट में तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन अचानक उन्हें घर लौटना पड़ा था। बीसीसीआई ने फैमिली इमरजेंसी का हवाला दिया और यही कारण था कि अश्विन ने मैच को बीच में छोड़ दिया।
अश्विन ने रोहित की कप्तानी की महत्ता को भी उजागर किया और कहा, “रोहित में कुछ तो अलग है। उनका दिल साफ है, इसी वजह से वह आईपीएल में पांच ट्रॉफियां जीत पाए हैं, जो कि धोनी के बराबर है।”
अश्विन की इस महत्त्वपूर्ण घटना के बारे में उनकी कहानी सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर की जा रही है और लोग उनकी मदद करने वाली इस नेक कृति की प्रशंसा कर रहे हैं।
भारतीय क्रिकेट टीम के दो महान कप्तानों, महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा की तुलना करना आसान नहीं है। दोनों ही अपने अद्वितीय खेल की वजह से टीम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके शैली, सोच, और प्रभाव में भिन्नताएं हैं
महेंद्र सिंह धोनी को ‘कूल कैप्टन’ के रूप में जाना जाता है। उनकी ठंडक और धीरे-धीरे निर्णय लेने की क्षमता उन्हें क्रिकेट के मैदान पर अद्वितीय बनाती है। उनकी अनुभवी दिमाग और लचीलापन टीम को कठिन स्थितियों में भी स्थिरता और आत्मविश्वास देते हैं।
रोहित शर्मा को ‘निरंतरता का प्रतीक’ माना जाता है। उनकी क्रिकेट में स्थिरता और सटीकता उन्हें एक शानदार खिलाड़ी बनाती है। उनकी कप्तानी में भी यही गुण हैं, वे हमेशा अपनी टीम को निरंतर अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
धोनी की कूलता और रोहित की निरंतरता में अंतर है, लेकिन दोनों ही अपने रूप में अद्वितीय हैं। धोनी की अनुभवी और शांतिप्रिय कप्तानी ने उन्हें विश्व के शीर्ष कप्तानों में एक मान्यता दिलाई है, जबकि रोहित की निरंतरता और स्थिरता ने उन्हें विशेष बना दिया है। अंत में, धोनी और रोहित दोनों ही भारतीय क्रिकेट के अमूल्य धरोहर हैं, और उनकी योगदान को सराहा जाना चाहिए।