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135 million Indians out of multidimensional poverty in 5 years

5 वर्षों में 13.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए

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नीति आयोग के “राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023” के अनुसार वर्ष 2015-16 से 2019-21 की अवधि के दौरान रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए। श्री सुमन बेरी, उपाध्यक्ष, नीति आयोग ने नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के.पॉल, डॉ. अरविंद विरमानी और श्री बी.वी.आर. सुब्रमण्यम, सीईओ, नीति आयोग की उपस्थिति में आज रिपोर्ट जारी की।

नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण [एनएफएचएस-5 (2019-21)] के आधार पर राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) का यह दूसरा संस्करण दोनों सर्वेक्षणों, एनएफएचएस-4 (2015-16) और एनएफएचएस-5 (2019-21) के बीच बहुआयामी गरीबी को कम करने में भारत की प्रगति को दर्शाता है।

इसे नवम्बर 2021 में लॉन्च किए गए भारत के एमपीआई की बेसलाइन रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है। अपनाई गई व्यापक कार्य पद्धति वैश्विक कार्य पद्धति के अनुरूप है।

राष्ट्रीय एमपीआई स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है – जो 12 एसडीजी-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाया गया है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं, सभी में उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं।pib

 

रिपोर्ट www.niti.gov.in पर देखी जा सकती है।

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