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आज की कहानी:छोटी सी बात

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रामू अपने काम में बहुत होशियार होने के बावजूद बड़ा ही आलसी था। जब देखो आलस के मारे सोता रहता था। उसकी इस आदत से उसकी पत्नी चंदा बड़ी दुखी थी। वह अकसर उसे समझाती, “तुम अपने हर काम में इतनी देर करते हो, तभी तो आज तक तुम्हारे पास एक दुकान तक नहीं है। मुझे तो डर है, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे आलसीपन की वजह से भूखे मरने की नौबत आ जाए।”

एक दिन रामू और चंदा में झगड़ा हुआ तो रामू गुस्से से बोला, “मैं आज ही शहर जाकर कोई काम ढूंढूंगा और एक दिन बड़ा आदमी बनूंगा, देखना। फिर मेरे पास आलीशान मकान-दुकान सब कुछ होगा। लोग तब मेरे जैसा बनना चाहेंगे।”

सच में उस दिन रामू ने जो कहा वही किया। वह घर छोड़कर स्टेशन की तरफ चल दिया। वहां उसने टिकट लिया। तभी उसे सामने से एक पूरी-छोले बेचने वाला नजर आया। उसके मुंह में पानी आ गया। उसने पूरी-छोले खरीदे और जमकर खाया। पेट भरने के बाद उसे नींद सताने लगी। वहीं अपनी गठरी सिर के नीचे दबाकर वह खर्राटे भरने लगा।

ट्रेन कब आई और कब चली गई, रामू को कुछ पता नहीं चला। तभी मनकू काका उधर से गुजरे। उन्होंने रानू को सोते देखा। उन्होंने जाकर चंदा को बताया। चंदा स्टेशन पर पहुंची और रामू को जगाकर बोली, “काश, तुम बड़े बोल न बोलते।” नींद का मारा रामू अब भी कुछ समझ नहीं पाया। वह पूछने लगा, “क्या ट्रेन आ गई?”

उसकी बात सुनकर मनकू काका बोले, “चंदा, इसे कुछ कहने-सुनने से तो अच्छा है, तुम ईश्वर से इसके लिए प्रार्थना करो कि यह आलस्य छोड़ दे। यह नहीं समझ पा रहा कि आलस्य घुन की तरह जीवन को खोखला कर देता है। जब पता चलता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है।”

रामू ने कहा, “काका, मैं खुद बदलना चाहता हूं, लेकिन पता नहीं मुझे क्या हो जाता है। मुझे उस समय ध्यान नहीं रहता कि क्या ठीक है और क्या गलत, जब कुछ करने का मौका आता है तब!”

काका ने समझाया, “यह भी आदत है। इसे खत्म करने के लिए भी खुद से थोड़ी जबरदस्ती करनी पड़ेगी। लोहे की सलाखों टेढ़ी हो जाए, तो उसे आग में डालकर ठोकना-पीटना पड़ता है। तुम भी ऐसा ही करो। तुम्हारी जीत होगी। बहुत से लोगों ने ऐसा किया है । इसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई। सोचो, पक्का इरादा करो, अपनाओ और सब हो जाएगा। छोटी-सी बात है यह।”

रामू ने काका की बात मानी। छोटी-छोटी बातों पर काम किया और जो चाहा उसे पा लिया।

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