केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू आज भारत की पहली कैनबिस मेडिसिन परियोजना का नेतृत्व करने जा रहा है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू का ‘कैनबिस रिसर्च प्रोजेक्ट’ भारत में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक कनाडाई फर्म के साथ निजी सार्वजनिक भागीदारी में शुरू किया गया है, जिसमें मानव जाति के कल्याण के लिए विशेष रूप से न्यूरोपैथी, कैंसर और मिर्गी से पीड़ित रोगियों के लिए कार्य करने की अपार क्षमता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने संस्थान के संरक्षित क्षेत्र में कैनबिस की खेती के तरीकों और इस महत्वपूर्ण पौधे पर किए जा रहे शोध कार्यों के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने के लिए जम्मू के पास चाथा में स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) – भारतीय समवेत औषध संस्थान (आईआईआईएम) के कैनबिस कल्टीवेशन फार्म के दौरे के दौरान यह बात कही।
मंत्री महोदय ने कहा कि सीएसआईआर-आईआईआईएम की यह परियोजना आत्म-निर्भर भारत के नजरिए से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी मंजूरी मिलके बाद, यह विभिन्न प्रकार की न्यूरोपैथी, मधुमेह रोग आदि के लिए निर्यात गुणवत्ता वाली दवाओं का उत्पादन करने में सक्षम होगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यद्यपि जम्मू-कश्मीर और पंजाब नशीली दवाओं के दुरुपयोग से प्रभावित हैं, इसलिए इस तरह की परियोजना से जागरूकता फैलेगी व असाध्य और अन्य बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए इसके विविध औषधीय उपयोग हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर-आईआईआईएम और इंडस स्कैन के बीच वैज्ञानिक समझौते पर हस्ताक्षर न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक था क्योंकि इसमें उन विविध दवाओं का उत्पादन करने की क्षमता है जिन्हें विदेशों से निर्यात किया जाना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस तरह की परियोजना से जम्मू-कश्मीर में बड़े निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
इस अवसर पर मीडिया को जानकारी देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कैनबिस एक अद्भुत पौधा है। मतली और उल्टी के इलाज के लिए मेरिलनोल/नाबिलोन तथा सेसमेट, न्यूरोपैथिक दर्द एवं ऐंठन के लिए सेटिवेक्स, मिर्गी के लिए एपिडियोलेक्स, कैनबिडिओल जैसी दवाओं को एफडीए ने मंजूरी दे दी है और अन्य देशों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। pib