You Must Grow
India Must Grow

NATIONAL THOUGHTS

A Web Portal Of Positive Journalism 

Motivational Story:महाकपि का बलिदान

Share This Post

हिमालय के जंगल में ऐसे कई पेड़-पौधे हैं, जो अपने आप में अनोखे हैं। ऐसे पेड़-पौधे और कही नहीं पाए जाते। इन पर लगने वाले फल और फूल सबसे अलग होते हैं। इन पर लगने वाले फल इतने मीठे और खुशबूदार होते हैं कि कोई भी इन्हें खाए बिना रह नहीं सकता। ऐसा ही एक पेड़ नदी किनारे था, जिस पर सारे बंदर अपने राजा के साथ रहा करते थे। बंदरों के राजा का नाम महाकपि था। महाकपि बहुत ही समझदार और ज्ञानवान था।

महाकपि का आदेश था कि उस पेड़ पर कभी कोई फल न छोड़ा जाए। जैसे ही फल पकने को होता, वैसे ही वानर उसे खा लेते थे। महाकपि का मानना था कि अगर कोई पका फल टूटकर नदी के रास्ते किसी मनुष्य तक पहुंचा, तो ये उनके लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। सभी वानर महाकपि की इस बात से सहमत थे और उनकी आज्ञा का पालन करते थे, लेकिन एक दिन एक पका फल नदी में जा गिरा, जो पत्तियों के बीच छुपा हुआ था।

वह फल नदी में बहकर एक जगह पहुंच गया, जहां एक राजा अपनी रानियों के साथ घूम रहा था। फल की खुशबू इतनी अच्छी थी कि आनंदित होकर रानियों ने अपनी आंखें बंद कर ली। राजा भी इस खुशबू पर मोहित हो गया।  राजा ने अपने आसपास निहारा, तो उसे नदी में बहता हुआ फल दिखाई दिया। राजा ने उसे उठाकर अपने सिपाहियों को दिया और कहा कि कोई इसे खाकर देखे कि यह फल कैसा है। एक सिपाही ने उस फल को खाया और कहा कि ये तो बहुत मीठा है।

इसके बाद राजा ने भी उस फल को खाया और आनंदित हो उठा। उसने अपने सिपाहियों को उस पेड़ को खोज निकालने का आदेश दिया, जहां से ये फल आया था। काफी मेहनत के बाद राजा के सिपाहियों ने पेड़ को खोज निकाला। उन्हें नदी किनारे वो सुंदर पेड़ नजर आ गया। उस पर बहुत सारे वानर बैठे हुए थे। सिपाहियों को ये बात पसंद नहीं आई और उन्होंने वानरों को एक-एक करके मारना शुरू कर दिया। वानरों को घायल देखकर महाकपि ने समझदारी से काम लिया। उसने एक बांस का डंडा पेड़ और पहाड़ी के बीच पुल की तरह लगा दिया। महाकपि ने सभी वानरों को उस पेड़ को छोड़कर पहाड़ी की दूसरी तरफ जाने का आदेश दिया।

वानरों ने महाकपि की आज्ञा का पालन किया और वो सभी बांस के सहारे पहाड़ी के दूसरी ओर पहुंच गए, लेकिन इस दौरान डरे-सहमे बंदरों ने महाकपि को बुरी तरह से कुचल दिया। सिपाहियों ने तुरंत राजा के पास जाकर सारी बात बताई। राजा, महाकपि की वीरता से बहुत प्रसन्न हुए और सिपाहियों को आदेश दिया कि महाकपि को तुरंत महल लेकर आएं और उसका इलाज करवाएं। सिपाहियों ने ऐसा ही किया, लेकिन जब महाकपि को महल लाया गया, तब तक वह मर चुका था।

कहानी से सीख

वीरता और समझदारी हमें इतिहास के पन्नों में जगह देती है। साथ ही इस कहानी से यह भी सीख मिलती है कि हर मुश्किल घड़ी में समझदारी से काम लेना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *