प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार सुबह बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया और इसे “भारत की जीवंत संस्कृति और विरासत का प्रतीक” कहा। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और 17 देशों के राजदूत शामिल हुए।
पीएम मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि देश की एक पहचान है। उन्होंने कहा कि नालंदा भारत की शैक्षणिक विरासत और जीवंत सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है।
मोदी ने इतिहासकारों के दावों का जिक्र करते हुए कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में लाखों किताब और पांडुलिपि अफगान कमांडो द्वारा जला दी गई थीं, कहा, “नालंदा इस सत्य की घोषणा है। किताबें आग की लपटों में जल सकती हैं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नष्ट नहीं कर सकती हैं।”
मोदी ने कहा कि नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है, बल्कि इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है।
मोदी ने योग के महत्व को बताते हुए कहा कि आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है, योग दिवस एक वैश्विक उत्सव बन गया है। उन्होंने अपने मिशन के बारे में बताते हुए कहा कि उनका मिशन है…भारत दुनिया के लिए शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बने। भारत की पहचान फिर से दुनिया के सबसे प्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में हो।
यहां नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के students पढ़ाई कर रहे हैं, जो वसुधैव कुटुंबकम की भावना का एक सुंदर प्रतीक है। इस नए परिसर के माध्यम से हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से मजबूती देनी है और भारत को विश्व में एक शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने का सुअवसर मिला है।