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आज की कहानी : रंगा सियार

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किसी जंगल में एक सियार रहता था। वह अपनी चालाकी के कारण अकेला रहता था। एक रात खाने की तलाश में घूमता-घूमता जंगल से बाहर निकल गया। रात के उजाले में उसे नील से भरी एक बड़ी टंकी दिखाई दी। उसने सोचा कि उसमें जरूर खाने की कोई चीज होगी। वह टंकी पर उछल कर चढ़ गया। उसने नील की टंकी में मुँह डालकर देखा कि उसमें क्या है? टंकी थोड़ी खाली थी। इसलिए उसने जैसे ही मुँह नीचे बढ़ाने की कोशिश की वैसे ही वह टंकी में गिर पड़ा। उसने टंकी से निकलने की बहुत कोशिश की पर वह निकल नहीं सका । अंत में वह किसी प्रकार बाहर निकला। उसने पानी में अपना शरीर देखा, वह पूरा नीला था।

सोचते-सोचते सियार जंगल में पहुँचा। उसने अपने अन्य सितारों से कहा कि उसे कल रात वनदेवी मिली थी। उन्होंने मुझे यह रूप दिया और जंगल का राजा बना दिया। सभी उसकी बातों में आ गये। सियार जंगल का राजा बन गया । एक बूढ़े सियार को उसकी बातों पर शक हुआ। उसने कुछ सियारों के कान में कहा और उन सभी ने मिलकर ‘हुआ- हुआ’ करना शुरू कर दिया। रंगे सियार से भी नहीं रहा गया। वह भी ‘हुआ-हुआ’ करने लगा । इस प्रकार उसका भेद खुल गया और जंगल के असली राजा सिंह द्वारा रंगा सियार मार डाला गया।

शिक्षा – न कभी असलियत को छुपाना चाहिए न छल करना चाहिए।

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