बिहार सरकार ने आरक्षण कोटा के संबंध में पटना उच्च न्यायालय के हालिया फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बिहार के 2023 के संशोधन अधिनियमों को अमान्य करने का विरोध किया गया है, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए आरक्षण को 65 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रावधान था। यह संशोधन इस उद्देश्य के लिए किया गया था कि समाज के अल्पसंख्यक समुदायों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अधिक से अधिक आरक्षण प्रदान किया जाए। इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने गौरव कुमार नामक वकील द्वारा चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।