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सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा बिहार में गिरते पुलों का मामला, दायर हुई जनहित याचिका, ऑडिट की उठी मांग

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पिछले दो सप्ताह में नौ पुलों के ढहने की रिपोर्ट के बाद बिहार में सभी पुलों के संरचनात्मक ऑडिट की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में बिहार सरकार को सभी मौजूदा पुलों और निर्माणाधीन पुलों का उच्चतम स्तरीय संरचनात्मक ऑडिट करने और कमजोर ढांचे को ध्वस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार में पिछले 15 दिनों में नौ पुल ढह गए। जनहित याचिका में सभी पुलों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति के गठन की प्रार्थना की गई है।

याचिका में शीर्ष अदालत से बिहार सरकार को सभी मौजूदा पुलों और निर्माणाधीन पुलों का उन्नत संरचनात्मक ऑडिट करने का निर्देश देने की मांग की गई है। यह जनहित याचिका बुधवार को तीन और पुलों के ढहने के बाद आई है। इन तीन में से दो कथित तौर पर सीवान में और एक सारण जिले में ढह गया। बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और पुलों के रखरखाव के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।

इससे पहले बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग मंत्री अशोक चौधरी ने बिहार में पुलों के ढहने की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की थी। बिहार नदियों और अन्य जल निकायों पर बने छोटे-बड़े पुलों से जुड़ी कई दुर्घटनाओं का गवाह रहा है। 23 जून को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में एक निर्माणाधीन पुल ढह गया। राज्य के ग्रामीण कार्य विभाग (आरडब्ल्यूडी) द्वारा अमवा गांव को ब्लॉक के अन्य क्षेत्रों से जोड़ने के लिए मोतिहारी के घोड़ासहन ब्लॉक में एक नहर पर 16 मीटर लंबा पुल बनाया जा रहा था। पुल 1.5 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। घटना में किसी के घायल या हताहत होने की सूचना नहीं है। इससे पहले अररिया जिले के सिकटी में करीब 180 मीटर लंबा एक नवनिर्मित पुल ढह गया था। सीवान के दरौंदा इलाके में एक और पुल ढह गया। नहर पर बना यह छोटा पुल दरौंदा और महाराजगंज ब्लॉक के गांवों को जोड़ता था।

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