दोस्तों एक बार एक अंकल सुबह की सेर करने जाया करते थे यह उनका रोजाना का नियम था चाहे मौसम केसा भी हो उनकी ये आदत बरक़रार रहती थी और अंत में वे अंकल पार्क में बैठ जाया करते थे वहां पर उनके काफी सारे मित्र भी आया करते थे
बातो ही बातों में उनके दोस्तों ने बताया कि शहर में एक मैराथॉन का आयोजन हो रहा है और तुम्हारे अंदर निरंतरता है तुम्हें इस दौड़ में भाग लेना ही चाहिए तो बातों-बातों में चढ़ा दिया दोस्तों ने उनको
भाई साहब ने दौड़ में हिस्सा लिया लेकिन जब दौड़ शुरू हुई तो दौड़ शुरू होने से पहले भाई साहब ने एक महिला को देखा जिनकी उम्र 65 से 66 वर्ष के बीच में लग रही थी वह भी दौड़ने आयी थी आई थी और वह साड़ी में आई थी उस महिला को देखकर इन अंकल को लगा कि इनके पैरों में चप्पल भी नहीं है यह कैसे दौड़ेगी ????
लेकिन कब दौड़ शुरू हुई इसका पता भी नहीं चला और देखते ही देखते 1 किलोमीटर दौड़ने के बाद यह भाई साहब तो थक गए लेकिन वह महिला 2 किलोमीटर आगे दौड़ कर पहुंच गई थी कुछ देर बाद इनको पता लगा कि उस महिला ने दौड़ को जीत लिया है
मीडिया ने उनको घेर लिया आपने दौड़ को कैसे जीता
तो उन्होंने बड़ी सरलता से जवाब दिया कि मेरे पति
अस्पताल में भर्ती है उनके इलाज के लिए ₹50000 की आवश्यकता है
और मुझे किसी ने बताया कि शहर में मैराथन का आयोजन हो रहा है
जीतने वाले को 50000 रुपये मिलेंगे
सभी ने उस महिला की हेल्प की जितना हो सकता था
उस महिला की हेल्प की और उसको ₹50000 भी मिले तो
दोस्तों कहानी सीखने को ही मिलता है कि अगर आप पढ़े डेडीकेशन के साथ अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो गए
तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती ऐसा मेरा मानना है और मैं इस चीज को मानता हूं