कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के लिए स्थिति मुश्किल होती जा रही है। पार्टी के भीतर उठापटक के अलावा, सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। इसके साथ ही, प्राइवेट कंपनियों में ग्रुप सी और डी के पदों पर स्थानीय लोगों को 100% आरक्षण देने के प्रस्ताव को लेकर भी सरकार की आलोचना हो रही है। इन सब घटनाक्रमों के बीच, विपक्षी भाजपा को एक बड़ा मौका मिल गया है और उसने कर्नाटक में सोमवार से शुरू हुए मानसून सत्र में राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
कोटा बिल पर उद्योग जगत की तीखी नाराजगी के बाद, कांग्रेस सरकार ने इस बिल को रोक दिया है। हालांकि, मामला काफी आगे बढ़ चुका था और भाजपा इस स्थिति का फायदा उठाने की उम्मीद कर रही है। भाजपा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भी निशाना साधा है, विशेषकर कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड में घोटाले के आरोपों को लेकर। भाजपा मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रही है, जबकि कांग्रेस का दावा है कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है, जैसा कि उसने झारखंड, दिल्ली, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में किया था।
भाजपा ने विधानसभा में भी सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ हमला तेज कर दिया है। ताजा विवादों ने सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया है और भाजपा को लंबे समय से तलाशे गए मौके की प्राप्ति हो गई है। कांग्रेस के लिए एक और चुनौती यह है कि सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। हालांकि सिद्धारमैया को एक साफ छवि का नेता माना जाता है, लेकिन यह आरोप उनकी मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं। भाजपा सड़क से लेकर सदन तक में सरकार के खिलाफ आक्रमण कर रही है।
कांग्रेस के लिए राहत की बात यह है कि विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, जिससे उसके पास डैमेज कंट्रोल का मौका है। हालांकि, भाजपा लगातार सिद्धारमैया को घेरने की कोशिश कर रही है और उन पर कई घोटालों के आरोप लगा रही है। बीजेपी का कहना है कि और भी घोटाले सामने आ सकते हैं और राज्य सरकार इन मुद्दों को दबाने की कोशिश कर रही है। सिद्धारमैया की पत्नी पर मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी की 50-50 प्रोत्साहन योजना में गड़बड़ी के आरोप भी लगाए गए हैं, जिसे लेकर भाजपा मुख्यमंत्री पर दबाव बना रही है।