नीति आयोग की बैठक को लेकर जारी राजनीति कम होने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका बहिष्कार करने का फैसला लिया गया। हालांकि, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इसमें शामिल हुई थीं। लेकिन उन्होंने भी बड़ा आरोप लगाते हुए बैठक छोड़ दिया है। ममता ने दावा किया, “मैंने कहा कि आपको (केंद्र सरकार) राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे केवल 5 मिनट के लिए बोलने की अनुमति दी गई।”
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि मुझसे पहले के लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की। विपक्ष से मैं अकेली थी जो भाग ले रही थी लेकिन फिर भी मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। यह अपमानजनक है। उन्होंने कहा, “मैं बोल रही थी, मेरा माइक बंद हो गया। मैंने कहा आपने मुझे क्यों रोका, आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं। मैं बैठक में भाग ले रही हूं, आपको खुश होना चाहिए बजाय इसके कि आप अपनी पार्टी, अपनी सरकार को अधिक गुंजाइश दे रहे हैं। विपक्ष की ओर से सिर्फ मैं हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं…यह सिर्फ बंगाल का ही नहीं बल्कि सभी क्षेत्रीय पार्टियों का अपमान है।”
विपक्ष शासित राज्यों के लगभग सभी मुख्यमंत्रियों का आरोप है कि इस बार के केंद्रीय बजट में उनका हक नहीं दिया गया है। यही कारण है कि वे नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट भाजपा का बहिष्कार करने वाले राज्यों और लोगों के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई जैसा प्रतीत होता है। उन्होंने इंडिया ब्लॉक को वोट देने वालों से बदला लेने के लिए बजट तैयार किया है। केंद्र की भाजपा सरकार लगातार तमिलनाडु की उपेक्षा कर रही है।
राजद नेता मनोज झा ने कहा, “नीति आयोग क्या है? इसमें कौन सी शक्ति है? योजना आयोग से क्या समस्या है? यह नेहरू के समय से है। योजना आयोग की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
आप नेता संजय सिंह ने कहा, “अगर बजट में विपक्ष शासित राज्यों के लिए कोई प्रावधान नहीं है तो नीति आयोग की बैठक का क्या मतलब है। इसीलिए विपक्ष शासित राज्यों ने बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। दिल्ली और पंजाब की अनदेखी की गई। सीएम भगवंत मान और दिल्ली के वित्त मंत्री अरविंद केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर सकते थे, लेकिन उन्होंने भी बहिष्कार कर दिया है।”
इस प्रकार, नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने वाले विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं और इसे लोकतंत्र के लिए अपमानजनक बताया है।