झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की अटकलों के बीच, झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को कहा कि अभी तक ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है। मरांडी ने कहा, “चंपई सोरेन से अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है। वह एक अनुभवी राजनेता हैं और अलग झारखंड आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। वह खुद अपना रास्ता तय करेंगे।” उन्होंने कहा कि चंपई की हालिया पोस्ट से यह स्पष्ट होता है कि वह काफी आहत हुए हैं और जिस तरह से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, उससे वह अपमानित महसूस कर रहे हैं।
यह बयान ऐसे समय आया है जब चंपई सोरेन दिल्ली में हैं। उन्होंने रविवार दोपहर को दिल्ली पहुंचने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में “कड़वे अपमान” का अनुभव करने की बात कही। इससे यह संकेत मिला कि वह झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उनकी इस पोस्ट ने उनके भविष्य की राजनीतिक योजना के बारे में कई अटकलों को जन्म दिया है।
चंपई सोरेन ने अपनी पोस्ट में आरोप लगाया कि जुलाई के पहले सप्ताह में पार्टी नेतृत्व ने अचानक उनके सभी सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया, जिसके बाद उन्हें बताया गया कि विधायक दल की बैठक बुलाई गई है और तब तक वे मुख्यमंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते। सोरेन ने कहा, “क्या लोकतंत्र में इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे?” उन्होंने आगे बताया कि उन्हें बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था, और उनसे इस्तीफा मांगा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने सत्ता का मोह न रखते हुए तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके आत्म-सम्मान पर लगी चोट से वे भावुक हो गए।
चंपई सोरेन की इस पोस्ट के बाद, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता और पार्टी सुप्रीमो हेमंत सोरेन ने भाजपा पर विधायकों को “खरीदने” और “समाज को विभाजित करने” का आरोप लगाया। इन घटनाओं के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि चंपई सोरेन अपने राजनीतिक करियर में कौन सा कदम उठाते हैं।