एक रिश्तेदार की शादी की पार्टी में सोनू अपने परिवार के साथ पहुंचा। वहाँ जाकर उसने देखा कि खाना शुरू हो चुका था। जाते ही उसने एक प्लेट में पनीर की सब्जी, खूब सारे चावल, दही-भल्ले, पापड़, अचार, सलाद आदि सजा लिए।
अपनी खाने से लबालब प्लेट काे लेकर सोनू एक साइड में चला गया। खाना शुरू ही किया था कि दो चम्मच चावल खाते ही सोनू को लगा कि खाने में नमक ज्यादा है। सोनू ने सोचा कि मैं ये खाना खाकर पेट क्यों भर रहा हूँ, ये ताे राेज घर पर खाता हूँ। … मुझे तो रसगुल्ले, गुलाब जामुन, आइसक्रीम, इत्यादि खाने चाहिए।
बस फिर क्या था, सोनू खाने से भरी प्लेट चुपचाप रखने की जगह ढूँढने लगा। एक जगह से टेंट खुला हुआ था। सोनू ने नज़रें बचाकर टैंट से बाहर जाकर वह प्लेट रख दी और चुपचाप टेंट के अंदर आ गया।
किसी को कुछ ना पता चलता देख सोनू खुश हो गया आैर गुलाब जामुन लेने चला गया।
गुलाब जामुन लेकर सोनू उसी जगह आ गया जहां से पहले खड़ा होकर खाना खा रहा था। गुलाब जामुन बड़े आनन्द से खाकर वो खाली प्लेट उसी जगह फेंकने गया जहाँ उसने खाने से भरी प्लेट रखी थी, पर जैसे ही सोनू प्लेट फेंकने गया, वहाँ का दृश्य देख सोनू हैरान हाे गया।
सोनू ने देखा कि जाे प्लेट उसने वहाँ रखी थी उसमें रखे खाने को एक बच्चा खा रहा था।सोनू ने बच्चे को देखकर कहा,
• ए बच्चे, ये क्या कर रहे हो ?
बच्चा डर गया और सोनू के पाँव में आकर गिर गया और कहने लगा,
• खाने दाे भैया, मैंने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है। मैं आपके पाँव पड़ता हूँ।
सोनू की आँखे भर आईं। वह बच्चे के पास बैठा और बोला,
• बेटा ये खाना ज़मीन पर गिरकर खराब हो गया है और देखो उसमें नमक भी ज्यादा है।
बच्चा रोने लगा बोला,
• भैया, आपके लिए ये पानी जैसा भी हो, पर मुझे तो इस समय ये मेरी ज़िंदगी लग रहा है, खाने दाे भैया।
सोनू के आँसू राेके नहीं रुक रहे थे।
सोनू ने उससे कहा,
• गुलाब जामुन खाओगे, लाऊं तुम्हारे लिए ?
बच्चा बोला,
• नहीं भैया, मेरे लिए तो यही बहुत है।
सोनू रोने लगा, उसे रोता देख बच्चा हँसा और बोला,
• भैया, आप क्यों रोते हो ? आप जैसे किस्मत वालों को देना शोभा नहीं देता।
• मैं किस्मत वाला कैसे ? सोनू ने बड़ी हैरानी से पूछा।
बच्चा खाना खाते-खाते बोला,
• भैया, ये सब खाना खाने के, मेरे जैसे ना जाने कितने बच्चे रात को सपना देखकर रोड पर भूखे सो जाते हैं, और एक आप हो जाए उसे खाने को फेंक देते हो, तो हुए ना आप किस्मत वाले ?
… आप मत रोइये भैया,
राेया ताे मुझे चाहिए, जिसे आज तो आपका ये झूठा, फेंका हुआ खाना खाने को मिल गया, पर कल इस समय फिर ये पेट भूखा हाेगा। आैर पता है भैया, तब मैं आज के इस पल को याद करके भूखा सो जाऊंगा, ये साेचकर कि कल मैं इस समय ये खाना खा रहा था।
आप कल इस समय फिर से अच्छा खाना खाएंगे, पर मैं नहीं, मैं फिर भूखा तड़पूंगा। इसलिए रोना तो मुझे चाहिए, आपको नहीं।
सोनू राेने लगा ङर अब सेना को उस अन्न की महिमा और महत्व पता चल गया था जिसे उसने फेंका था।
सोनू ने कहा,
• रुक मैं तेरे लिए गुलाब जामुन लाता हूँ।
बच्चे ने जाते सोनू काे राेका आैर कहा,
• भैया, अगर कृपा करनी ही है ताे मुझे ये खाना घर ले जाने दीजिए। मेरी माँ हमेशा मुझे खिलाकर ही खाती है। सोचिए मैंने तीन दिन से खाना नहीं खाया तो मेरी माँ भी तो तीन दिन से ही भूखी हाेगी। क्या मैं ये अपनी माँ के लिए ले जाऊं ??
सोनू गया ङर उसके लिए खूब सारा खाना लगाया और उसे दे दिया।
वाे बच्चा तो चला गया पर अब जब भी सोनू खाना खाता और उसे उसका स्वाद अच्छा ना लगता, ताे खाने की प्लेट वापस करने से पहले ही उसके आगे वह बच्चा आ जाता जो उससे कहता,
• देखाे भैया, हो ना आप किस्मत वाले, मैं तो आज भी भूखा हूँ और आपको खाना मिल रहा है ताे आप उसका आदर नहीं कर रहे हो।
… ये सुनते ही सोनू खाने को सिर माथे लगाता और भगवान का शुक्रिया कर उसे खाता।
~ धन्यवाद
… इसलिए जीवन में हमेशा अन्न का आदर करिये