दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका और कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुइयां की बेंच कर रही है, जबकि वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी केजरीवाल की ओर से बहस कर रहे हैं।
सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि यह सीबीआई द्वारा की गई “बीमा गिरफ्तारी” है, जो दो साल से लंबित थी। उन्होंने कहा कि एफआईआर में केजरीवाल का नाम नहीं है, और एफआईआर दर्ज होने के 8 महीने बाद उन्हें गवाह के रूप में बुलाया गया था। सिंघवी ने यह भी कहा कि केजरीवाल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि केजरीवाल का नाम एफआईआर में न होने के कारण उनके भागने का कोई खतरा नहीं है।
सिंघवी ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे चुका है और कहा था कि केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अगस्त 2023 में जो शुरू हुआ, उसके कारण मार्च में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी हुई।”
23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी थी। इसके साथ ही, केजरीवाल को दो दिन का समय दिया गया था अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए। केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के 5 अगस्त के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराया गया था। 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और सीबीआई से इस मामले में जवाब मांगा था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 5 अगस्त को सीबीआई की कार्रवाई को वैध ठहराते हुए कहा था कि इसमें कोई दुर्भावना नहीं है। अब, सुप्रीम कोर्ट में चल रही इस सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।