जम्मू-कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद, जिन्हें इंजीनियर रशीद के नाम से भी जाना जाता है, आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में एक बड़े गेमचेंजर के रूप में उभर सकते हैं। दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद, उन्होंने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा दी है। उनकी पार्टी अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) कश्मीर में सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। रशीद का लक्ष्य नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीडीपी जैसी प्रमुख पार्टियों को कश्मीर घाटी से हटाना है।
इंजीनियर रशीद ने जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के पूर्व सदस्यों के साथ गठबंधन का ऐलान किया है। बता दें कि मोदी सरकार ने जमात पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में प्रतिबंध लगा दिया था। इस गठबंधन का उद्देश्य एआईपी और जेईआई समर्थित उम्मीदवारों के लिए जीत सुनिश्चित करना है, ताकि कश्मीर की जनता को मजबूत प्रतिनिधित्व मिल सके।
रशीद ने कहा कि उनकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर से जुड़े विशेष प्रावधानों को बहाल करना है। वह अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए हर वैध और लोकतांत्रिक कदम उठाने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर के लोग न तो भारत के दुश्मन हैं और न ही पाकिस्तान के एजेंट।
इंजीनियर रशीद ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को निराश किया है। रशीद ने उमर और महबूबा को “कठपुतली” और “रबर स्टाम्प” तक कह डाला।
रशीद ने भाजपा के साथ किसी भी संबंध को दृढ़ता से खारिज किया और उन आरोपों का भी विरोध किया कि वह भाजपा के “सहयोगी” हैं। उन्होंने कहा कि वह मुख्यधारा के एकमात्र नेता हैं जिन्हें भाजपा के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। रशीद ने कहा कि जो लोग उन्हें भाजपा का सहयोगी बता रहे हैं, उन्हें “खुद पर शर्म आनी चाहिए।”
रशीद ने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता के लिए नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को सच्चा प्रतिनिधित्व देने के लिए चुनाव लड़ रही है। उनका गठबंधन आने वाले विधानसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।