कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल अब समाप्त हो गई है। शुक्रवार को प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया, जिसे पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा सुरक्षा के आश्वासन मिलने के बाद लिया गया।
सरकार और न्यायपालिका द्वारा बार-बार काम पर लौटने की अपील के बाद, डॉक्टर अब काम पर लौटने को तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने अपनी पांच मांगें रखी हैं।
सुरक्षा आश्वासन : डॉक्टरों ने आश्वासन मांगा कि उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं होगी और उनकी मांगों पर कार्रवाई की जाएगी।
बुनियादी ढांचे का विकास: 42 डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें सरकार ने अस्पतालों के बुनियादी ढांचे के विकास और रोगी कल्याण समितियों के पुनर्निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर करने पर सहमति जताई।
विशेष टास्क फोर्स: मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पुलिस आयुक्त और जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक विशेष टास्क फोर्स गठित की जाएगी।
शिकायत निवारण तंत्र: सरकार अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करेगी।
पुलिस कमिश्नर की मांग : डॉक्टरों ने मामले को ठीक से न संभालने और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपों के चलते कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल और डीसी (उत्तर) अभिषेक गुप्ता को हटाने की मांग की। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) और चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) को भी हटाने की मांग की गई।
सरकार ने मंगलवार को विनीत गोयल की जगह मनोज कुमार वर्मा को नियुक्त किया और पुलिस उपायुक्त (उत्तर), डीएचएस, और डीएमई को भी उनके पदों से हटा दिया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार, सरकार अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और पुलिस की तैनाती बढ़ाने के लिए कार्य कर रही है।
हालांकि, टास्क फोर्स का गठन और शिकायत निवारण प्रणाली अभी तक प्रभावी नहीं हुई है। डॉक्टरों ने पुलिस आयुक्त और स्वास्थ्य अधिकारियों के बदले जाने पर खुशी जताई, लेकिन वे सरकार द्वारा सभी मांगों को पूरा किए जाने को लेकर संशय में हैं।