दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी ने मानहानि के एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला केजरीवाल द्वारा अग्रवाल समुदाय को मतदाता सूची से बाहर करने से संबंधित टिप्पणी पर आधारित है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के अन्य नेताओं के खिलाफ भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे को खारिज करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि भाजपा के खिलाफ आप द्वारा लगाए गए आरोप मानहानिकारक हैं और इनका उद्देश्य राजनीतिक लाभ के लिए सैफ्रन पार्टी की प्रतिष्ठा को धूमिल करना है।
उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, अदालत ने केजरीवाल, आतिशी और पार्टी के अन्य सदस्यों को ट्रायल कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। इसके जवाब में, उन्होंने अब मामले को सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया है, जहाँ उनकी याचिका पर शुक्रवार, 27 सितंबर को सुनवाई होने वाली है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब केजरीवाल की वोटिंग लिस्ट और अग्रवाल समुदाय के बारे में की गई टिप्पणियों ने आक्रोश पैदा किया, जिसके कारण मानहानि का मुकदमा दायर किया गया। उच्च न्यायालय के निष्कर्षों ने इस स्थिति को पुष्ट किया कि टिप्पणियों का उद्देश्य भाजपा को बदनाम करना था।
यह मामला दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में आप और भाजपा के बीच चल रहे तनाव को उजागर करता है। दोनों दल आगामी चुनावों से पहले वाकयुद्ध में लगे हुए हैं। सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई के परिणाम का दोनों नेताओं और उनकी पार्टी की आगे की राजनीतिक रणनीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
इस विवाद ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के नतीजे सभी संबंधित पक्षों के लिए महत्वपूर्ण होंगे।