कल सुबह 6 बजे से कलश स्थापना का शुभ चौघड़िया मुहूर्त, जानें मां पूजा विधि, मंत्र से सहित अन्य जानकारी
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रहा है। जानें मुहूर्त, पूजा विधि सहित अन्य जानकारी
हिदू धर्म मे नवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सालभर में कुल 4 नवरात्रि पड़ती है, जिसनें से 2 गुप्त नवरात्रि और इसके अलावा चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती है। हर एक नवरात्रि का अपना-अपना महत्व है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेककर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि पड़ती है।
इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। इस दौरान कई साधक घर में कलश स्थापना करते हैं। इसके साथ ही नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना विधि, पूजा विधि सहित अन्य जानकारी
कलश स्थापना मंत्र
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना करते समय इस मंत्र को बोले।
ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दवः। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः ।।
नवरात्रि पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
नवरात्रि में रंगों का महत्व
नवरात्रि में हर एक किसी न किसी रंग से संबंधित है। मान्यता है कि ऐसा करने सुख- समृद्धि के साथ धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
प्रतिपदा- पीला
द्वितीया- हरा
तृतीया – भूरा
चतुर्थी – नारंगी
पंचमी- सफेद
षष्टी – लाल
सप्तमी – नीला
अष्टमी – गुलाबी
नवमी – बैंगनी
मां दुर्गा की सवारी
देवी पुराण के अनुसार, माता के पालकी में सवार होकर आने को शुभ माना जाता है। लेकिन मां दुर्गा की ये सवारी का संबंध महामारी से भी बताया जाता है। इसलिए पालकी में आना महामारी और बीमारी का संकेत है।
नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2024 :
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2024- सुबह 06:15 से 07:22 एम
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त 2024- 11:46 एमसे 12:33 पीए
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 03 अक्टूबर 2024 को सुबह 12:18 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 04 अक्टूबर 2024 को सुबह 02:58 बजे
कन्या लग्न प्रारम्भ – 03 अक्टूबर 2024 को 06:15 एम बजे
कन्या लग्न समाप्त – 03 अक्टूबर 2024 को 07:22 एम बजे
मां शैलपुत्री ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
मां शैलपुत्री उपासना मंत्र
दुर्गादेवी समागच्छ सान्निध्य मिह कल्पय ।
रम्भा रूपेया में नित्यम् शान्तिं कुरु नमोस्तुते ॥
मां शैलपुत्री का वाहन
मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री है। माता वृषभ यानी बैल की सवारी करती हैं।
मां शैलपुत्री भोग
शारदीय नवरात्रि में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसके साथ ही भोग की बात करें, तो गाय के शुद्ध साफ घी अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि मिलती है और रोगों-दोषों से मुक्ति मिलती है।
मां शैलपुत्री के मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः ॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
मां शैलपुत्री का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार, मां शैलपुत्री के माथे में अर्ध चंद्र, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इसके साथ ही मां शैलपुत्री नंदी बैल की सवारी करती हैं। इसके साथ ही मां के इस स्वरूप को करुणा का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्रि का पहला दिन
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के साथ- साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन शैलपुत्री की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और घर में खुशियां बनी रहती हैं। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री है।
मां शैलपुत्री के प्रभावशाली मंत्र
1- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
2- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
शारदीय नवरात्रि उपाय
अपने घर के पूजा स्थान में भगवती दुर्गा, भगवती लक्ष्मी और मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके उनको फूलों से सजाकर पूजन करें। नौ दिनों तक माता का व्रत रखें। अगर शक्ति न हो तो पहले, चौथे और आठवें दिन का उपवास अवश्य करें। मां भगवती की कृपा जरूर प्राप्त होगी। नौ दिनों तक घर में मां दुर्गा के नाम की ज्योत अवश्य जलाएं।
मां दुर्गा के मंत्र
1- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
2- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
3- या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
4-या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।