भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) केंद्र में सत्ता में रहने के दौरान बड़े फैसले लेकर लोगों को चौंकाती रही है। इसी सिलसिले में, आगामी 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य की सरकार की तरफ से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है। इस दिन, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की योजना है।
उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग के कई जिलों और हिमालय पर्वत श्रृंखला के हिस्से को मिलाकर किया गया था। इस साल 9 नवंबर को राज्य का 24वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। 2007 में राज्य का नाम औपचारिक रूप से उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, समान नागरिक संहिता को लागू करने और इसके नियम बनाने के लिए गठित पैनल ने 7 अक्टूबर को इसके अंतिम प्रारूप पर मुहर लगा दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि इसे 9 नवंबर 2024 को लागू करने का विचार है, क्योंकि इसी दिन राज्य का 25वां स्थापना दिवस होगा। इस प्रक्रिया में लगभग 130 बैठकें आयोजित की गई हैं, और नियमों की 500 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी।
यदि समान नागरिक संहिता लागू होती है, तो सभी धर्मों के लिए शादी, तलाक, गोद लेने, और जायदाद के बंटवारे के लिए एक समान कानून होगा। वर्तमान में, ये मामले प्रत्येक धर्म के व्यक्तिगत कानूनों के तहत निपटाए जाते हैं। भारतीय संविधान अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता का समर्थन करता है।
उत्तराखंड का इतिहास समृद्ध और गौरवपूर्ण है, जिसमें विभिन्न महान सम्राटों की शौर्य गाथाएं शामिल हैं। गढ़वाल और कुमाऊं के इतिहास के माध्यम से राज्य के सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को समझा जा सकता है। उत्तराखंड भारत के 27वें राज्य के रूप में 9 नवंबर 2000 को स्थापित हुआ, और यह तिब्बत, नेपाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ सीमाएं साझा करता है। “उत्तराखंड” शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘उत्तरी शहर’।