भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर गंगटोक में दो दिनों की बैठक करेंगे। इस बैठक में सेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की जाएगी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सुरक्षा चुनौतियों और प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। 2024 का दूसरा आर्मी कमांडर सम्मेलन 10 अक्टूबर से गंगटोक में शुरू हुआ है, जिसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और चीन सीमा पर सैन्य तैयारियों की समीक्षा करना है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सेना प्रमुखों को उभरती सुरक्षा चुनौतियों के बारे में संबोधित करेंगे। उनका भाषण सीमा सुरक्षा और सेना की तैयारियों को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश देगा। इसके साथ ही वह अपने दौरे के दौरान सैनिकों के साथ दशहरा भी मनाएंगे, जो मनोबल बढ़ाने का एक अहम कदम है।
गंगटोक में आयोजित इस द्विवार्षिक सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास सेना की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करना है। यह कदम बीजिंग को स्पष्ट संदेश भेजता है, क्योंकि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत में लगे हुए हैं। इस सम्मेलन से सेना की रणनीति और तैयारियों में मजबूती आएगी।
सम्मेलन में एक अहम मुद्दा सेना की तकनीकी प्रगति पर भी रहेगा। इसमें कम लागत वाली प्रणालियों और उभरती प्रौद्योगिकियों को शामिल करने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही, आधुनिक युद्ध के नए तरीकों को अपनाने पर चर्चा की जाएगी, जिससे सेना की दक्षता में सुधार होगा।
सेना इस सम्मेलन में बहुपक्षीय सुरक्षा व्यवस्था पर भी चर्चा करेगी। इसमें राजनयिक, सूचना, सैन्य और आर्थिक (DIME) स्तंभों में नागरिक-सैन्य सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा, ताकि समकालीन खतरों का प्रभावी समाधान किया जा सके।
28-29 अक्टूबर को दिल्ली में सम्मेलन का दूसरा चरण होगा। इसमें सिक्किम में हुए चर्चाओं को आगे बढ़ाते हुए सेना की रणनीतिक स्थिति की समीक्षा की जाएगी। यह समीक्षा सेना की भविष्य की कार्यवाहियों का मार्गदर्शन करेगी और बदलते सुरक्षा परिदृश्यों का सामना करने की तैयारी करेगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 12 अक्टूबर को बीआरओ द्वारा निर्मित 2,236 करोड़ रुपये की 75 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इन परियोजनाओं में से 19 जम्मू-कश्मीर, 11 लद्दाख, 18 अरुणाचल प्रदेश, और अन्य राज्यों में हैं। इन परियोजनाओं में सबसे महत्वपूर्ण सिक्किम में कुपुप-शेरथांग रोड है, जो सेना के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा।
यह सम्मेलन भारत की सैन्य तैयारियों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेष रूप से भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर। सेना की प्रतिबद्धता और रणनीतिक योजनाएं देश की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करेंगी।