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संजू सैमसन: दबाव और असफलताओं से निपटना सीख लिया है

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भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन ने हाल ही में खुलासा किया कि उन्होंने शीर्ष स्तर की क्रिकेट में दबाव और असफलताओं का सामना करना सीख लिया है। इसके साथ ही उन्होंने टीम प्रबंधन और कोचिंग स्टाफ का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में उनका साथ दिया और खुद को साबित करने का एक और मौका दिया। आइए, जानते हैं सैमसन के अनुभव और उनकी प्रतिक्रिया पर आधारित मुख्य बिंदु।

संजू सैमसन ने बांग्लादेश के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में अपना पहला शतक जड़ा। इससे पहले उनका प्रदर्शन श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाफ शुरुआती मैचों में खास नहीं रहा था। श्रीलंका के खिलाफ दो मैचों में वह खाता भी नहीं खोल पाए थे, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ अपने तीसरे मैच में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया और शतक जड़कर खुद को साबित किया।

सैमसन ने मैच के बाद बताया, “श्रीलंका के खिलाफ दो मैचों में नाकाम रहने के बाद मुझे अगली सीरीज में मौका मिलने का संदेह था, लेकिन कोचिंग स्टाफ और कप्तान ने मुझ पर भरोसा बनाए रखा।” उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेटर के रूप में दबाव और असफलताओं से मुक्त होना संभव नहीं है, लेकिन उन्होंने इसे संभालने का तरीका सीख लिया है। इसके लिए उन्होंने ड्रेसिंग रूम, नेतृत्व समूह और कोच का धन्यवाद किया।

सैमसन ने बताया कि मुख्य कोच गौतम गंभीर ने उन्हें बांग्लादेश सीरीज के दौरान सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलने की योजना पहले से ही बता दी थी। उन्होंने कहा, “गौतम भाई, सूर्यकुमार यादव और अभिषेक नायर ने मुझे तीन सप्ताह पहले ही सूचित कर दिया था, जिससे मुझे सही तरह से तैयारी करने में मदद मिली।”

सैमसन ने बताया कि उन्होंने राजस्थान रॉयल्स अकादमी में जाकर नई गेंद के गेंदबाजों के खिलाफ अभ्यास किया, जिससे उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली। उन्होंने कहा, “इस श्रृंखला में मैंने किसी भी अन्य श्रृंखला की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक तैयारी की थी।”

सैमसन ने अपनी भूमिका को लेकर स्पष्टता पर जोर दिया और बताया कि इससे उन्हें अपने खेल के प्रति अधिक जागरूकता हासिल हुई। उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि मैं किसी भी स्थान पर बल्लेबाजी कर सकता हूं, चाहे वह 1 से 6 नंबर हो। मेरे पास बड़े शॉट लगाने की ताकत और अच्छी टाइमिंग है। यह सब मेरी भूमिका के अनुसार तैयारी करने से जुड़ा है।”

सैमसन ने कहा, “जब आप असफल होते हैं, तो यह कहना आसान होता है कि अगले मैच में रन बनाएंगे। लेकिन मैंने खुद के प्रति ईमानदार रहकर सफलता और असफलता दोनों को स्वीकार किया है।”

संजू सैमसन का सफर असफलताओं से लड़ते हुए खुद को साबित करने का है। टीम का समर्थन और सही तैयारी ने उन्हें इस कठिनाई से उबरने में मदद की।

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