इन दिनों हिंदू धर्म के अनुयायियों को लेकर विदेशों में बहस छिड़ गई है। रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी और एक अमेरिकी नागरिक के बीच हालिया बातचीत ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। जॉर्जिया स्टेट में सीनेट चुनाव लड़ रहे विवेक रामास्वामी ने हिंदू धर्म को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “हर बार हिंदुत्व ही निशाने पर क्यों?”
यह घटना अमेरिका में धार्मिक असहिष्णुता की ओर इशारा करती है, खासकर जब इसकी तुलना भारत से की जाती है। रामास्वामी ने विरोधी पक्ष की आक्रामक टिप्पणियों का सामना करते हुए अपने धर्म का शांतिपूर्ण तरीके से बचाव किया और इस अवसर को विश्व के लिए एक सकारात्मक संदेश देने का माध्यम बनाया। उन्होंने हिंदू धर्म की सहिष्णुता को रेखांकित किया।
अमेरिका में कुछ कट्टरपंथी समूह गैर-अब्राहमी धर्मों, विशेषकर हिंदू धर्म, को लगातार निशाना बनाते रहे हैं। वे हिंदू धर्म को “मूर्तिपूजक” और अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ करार देते हैं। फिर भी, हिंदू धर्म, चाहे भारत में हो या विदेश में, अधिकतर शांत रहता है। रामास्वामी के बयान ने अमेरिका में हिंदुओं को टारगेट करने के मुद्दे पर बहस को और तेज कर दिया है।
हाल ही में न्यू हैम्पशायर में एक मतदाता ने रामास्वामी से उनके धर्म के बारे में पूछा। इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मैं हिंदू हूं और मुझे इस पर गर्व है। मैं धार्मिक स्वतंत्रता का रक्षक हूं।” उन्होंने यह भी बताया कि हिंदू धर्म सभी को साथ लेकर चलने का संदेश देता है।
विवेक रामास्वामी का नाम तब चर्चा में आया जब उन्हें 2020 के चुनाव नतीजों में अवैध रूप से हस्तक्षेप का आरोपी माना गया। उन्होंने चुनावी अभियान के लिए 280 हजार डॉलर से अधिक का धन जुटाया है। विवेक रामास्वामी के पास स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बी.एस. और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर से जे.डी. की डिग्री है।
रामास्वामी का यह प्रयास हिंदू धर्म के प्रति सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।