मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ के चिनहट इलाके में पुलिस हिरासत में कथित तौर पर मारे गए मोहित कुमार के परिवार से मुलाकात की। इस दौरान विधायक योगेश शुक्ला और पार्षद शैलेंद्र वर्मा भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने परिवार को तत्काल 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की और उन्हें एक घर देने का वादा किया। साथ ही, सरकार ने उनके बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करने की भी घोषणा की है।
30 वर्षीय मोहित कुमार, जो चिनहट क्षेत्र के जैनाबाद का निवासी था, को शनिवार को एक मामले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लखनऊ के चिनहट थाने लाया गया। थाने में उसकी हालत बिगड़ने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उसे अस्पताल रेफर किया गया। अधिकारियों के अनुसार, वहीं उसकी मौत हो गई।
कुमार के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस की बर्बरता के कारण उसकी मौत हुई। इस संबंध में उनके द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर चिनहट थाने के एक इंस्पेक्टर और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इस घटना के बाद लखनऊ के चिनहट थाने के एसएचओ अश्वनी चतुर्वेदी को उनके पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा, चिनहट थाने के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें बीएनएस की धारा 103(1) और 61(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पीड़िता का पोस्टमार्टम किया गया, लेकिन मौत का कारण पता नहीं चल पाया, इसलिए विसरा को रासायनिक विश्लेषण के लिए सुरक्षित रखा गया है। साथ ही, हृदय को भी हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच के लिए सुरक्षित किया गया है।
कथित हिरासत में मौत ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि यह 16 दिनों में इस तरह का दूसरा मामला है। विपक्षी नेता, जैसे प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और मायावती, ने योगी सरकार पर निशाना साधा है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को इस घटना को लेकर भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि “पुलिस हिरासत” शब्द को बदलकर “यातना गृह” कर देना चाहिए। वहीं, मायावती ने कहा कि राज्य में हर दिन महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं चिंताजनक हैं और सरकार को सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।