नई दिल्ली (नेशनल थॉट्स) : इसके बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए तपन मिश्रा ने कहा कि 23 अगस्त को चांद पर चंद्रयान-3 को उतारने के पीछे भी वजह बहुत खास है। इसमें लैंडर और रोवर दोनों सोलर पैनल से जुड़े हुए हैं और 23 अगस्त को चांद पर सूर्योदय होगा। इसलिए सूरज की रोशनी में दोनों यंत्र बखूबी काम कर पाएंगे।
खास बात यह है कि चांद का एक दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। इसलिए तकनीकी तौर पर चंद्रयान-3 चंद्रमा के दिन के हिसाब से एक ही दिन काम करेगा लेकिन धरती के दिन के हिसाब से 14 दिन होगा। इसलिए हमें लैंडिंग की जल्दी नहीं है।
23 की जगह 24 अगस्त को भी लैंडिंग की जाएगी तो भी वह अच्छी रणनीति होगी। क्योंकि हम धीरे-धीरे चांद के सतह के करीब होंगे, सतह पर मौजूद आकृतियों के अनुसार अपनी गति और दिशा तय कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग निश्चित तौर पर अंतरिक्ष में भारत का सबसे मजबूत कदम होगा।