मंगलवार को विपक्ष ने लोकसभा से बहिर्गमन किया। विपक्ष ने अमेरिकी अभियोजकों द्वारा गौतम अडानी को रिश्वत मामले में दोषी ठहराए जाने और संभल हिंसा जैसे मुद्दे शीतकालीन सत्र में उठाए। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब एक दिन पहले ही सरकार और विपक्ष के बीच लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सुचारू कामकाज के लिए सहमति बन गई थी।
गौतम अडानी मामले पर विपक्ष का विरोध
विपक्ष ने गौतम अडानी के मामले पर संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन इस दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (SP) ने इसमें भाग नहीं लिया। जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके कुछ सहयोगी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। TMC सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा, “गठबंधन का हाल आप देख सकते हैं। कभी TMC गायब तो कभी AAP गायब।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का अब केवल एक ही एजेंडा रह गया है, जो है संसद को चलने न देना।
टीएमसी और कांग्रेस के बीच असहमति
समिक भट्टाचार्य ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन का चेहरा बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अब टीएमसी उनके आह्वान में शामिल नहीं हो रही। उनका कहना था कि यह सब ड्रामा है और इससे लोकतंत्र की मर्यादा को नुकसान हो रहा है।
कांग्रेस का विरोध और बहस की मांग
कांग्रेस सांसद हाथों में तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर लिखा था, “मोदी-अडानी एक हैं” और “भारत अदानी पर जवाबदेही की मांग करता है।” इस बीच, विपक्ष ने लोकसभा से बहिर्गमन किया, क्योंकि अडानी पर अभियोग और संभल हिंसा जैसे मुद्दे शीतकालीन सत्र में संसद की कार्यवाही को प्रभावित कर रहे थे।
शीतकालीन सत्र पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि विपक्ष आज सुबह से सदन में सहयोग करने के लिए तैयार था, लेकिन संसदीय प्रक्रियाओं में बहस और भाग लेने से पहले विरोध के रूप में गोलाबारी की गई। कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि विपक्ष कई मुद्दों पर चर्चा चाहता है, जैसे अडानी पर JPC, संभल, अजमेर, बांग्लादेश और मणिपुर। लेकिन सरकार उन्हें इन मुद्दों पर चर्चा नहीं करने दे रही है।