विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में कहा कि भारत और चीन के संबंध 2020 से असामान्य हो गए थे। चीन की कार्रवाईयों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग कर दी थी। उन्होंने बताया कि हाल के कूटनीतिक प्रयासों के कारण दोनों देशों के रिश्ते सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं।
अक्साई चिन और 1963 का समझौता
एस. जयशंकर ने बताया कि चीन ने 1962 के संघर्ष के दौरान अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया था। इसके अलावा, पाकिस्तान ने 1963 में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र चीन को सौंप दिया।
दशकों से चल रही वार्ताएं
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए कई दशकों से बातचीत हो रही है। 1993, 1996 और 2005 में दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने के समझौते किए गए थे। 2012 में परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य तंत्र (WMCC) की स्थापना की गई थी।
2020 की घटनाएं
एस. जयशंकर ने कहा कि अप्रैल-मई 2020 में एलएसी पर चीन की सेना ने बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया, जिससे गश्ती गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हुई। जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई, जिसमें 45 वर्षों में पहली बार गंभीर घटनाएं सामने आईं।
सेना की त्वरित प्रतिक्रिया
विदेश मंत्री ने भारतीय सेना की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने कोविड और कठिन हालात के बावजूद त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी।
तीन प्रमुख सिद्धांत
जयशंकर ने भारत की कूटनीतिक रणनीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तीन सिद्धांतों का पालन आवश्यक है:
एलएसी का सख्ती से सम्मान और पालन।
यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश नहीं।
पूर्व समझौतों और सहमतियों का पालन।
हालिया सकारात्मक घटनाक्रम
उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते से पहले कई उच्च-स्तरीय वार्ताएं हुईं। इससे डेमचोक और अन्य विवादित क्षेत्रों में गश्त की गतिविधियां फिर से शुरू हो पाई हैं।
स्पष्ट और सैद्धांतिक रुख
जयशंकर ने कहा कि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के बिना भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत की रणनीति आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और आपसी हित के सिद्धांतों पर आधारित है।
आगे का रास्ता
भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए, सीमा विवाद पर निष्पक्ष, न्यायसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान की दिशा में काम जारी रहेगा। भारत-चीन संबंधों में हाल के कूटनीतिक प्रयास सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं। हालांकि, सीमा विवाद के समाधान और शांति बनाए रखने के लिए निरंतर संवाद और सशक्त कूटनीति आवश्यक है।