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संसद भवन पर हमले की आंखों देखी कहानी

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13 दिसंबर 2001 को भारत के लोकतंत्र पर हुए हमले में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कई केंद्रीय मंत्री और सांसदों ने एकत्र होकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का श्रद्धांजलि संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “मैं उन वीरों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिन्होंने 2001 में आज ही के दिन हमारी संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनका साहस और निस्वार्थ सेवा हमें प्रेरित करती रहेगी। राष्ट्र उनके और उनके परिवारों के प्रति हृदय से आभारी है।” उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के अडिग संकल्प को दोहराया और कहा, “हमारा देश आतंकवादी ताकतों के खिलाफ एकजुट है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का श्रद्धांजलि संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “2001 के संसद हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी। उनका बलिदान हमेशा हमारे राष्ट्र को प्रेरित करेगा। हम उनके साहस और समर्पण के लिए सदा आभारी रहेंगे।” प्रधानमंत्री मोदी ने संसद हमले की बरसी पर संसद भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लिया और कार्यक्रम से जुड़ी तस्वीरें साझा कीं।

अन्य नेताओं ने भी दी श्रद्धांजलि

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने भी संसद भवन के बाहर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के कर्मियों ने सलामी दी और शहीदों के सम्मान में मौन रखा। कई नेताओं ने हमले में मारे गए शहीदों के परिजनों से भी बातचीत की।

2001 संसद हमले की आंखों देखी कहानी

13 दिसंबर 2001 को भारत के लोकतंत्र पर घातक आतंकवादी हमला हुआ था। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला किया था, जिसमें दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कर्मी और संसद के दो कर्मी शहीद हो गए थे। इस हमले के दौरान मैं प्रभासाक्षी संवाददाता के रूप में वहां मौजूद था, और वह दृश्य आज भी मेरी आंखों में ताजे हैं।

आतंकियों का हमला और सुरक्षा बलों की बहादुरी

वह दिन जब आतंकवादी संसद भवन के अंदर घुसे, भारत के लोकतंत्र पर हमला हुआ था। आतंकवादियों ने सफेद एंबेसडर कार का इस्तेमाल करते हुए संसद भवन में घुसने का प्रयास किया। लेकिन सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए उन्हें ढेर कर दिया। इस हमले के साजिशकर्ताओं को बाद में न्याय के कठघरे में लाया गया और अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी पर लटका दिया गया।

आतंकवादी हमले की घेराबंदी

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, जब आतंकवादी घुसे, तब संसद की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित थी। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी अपने-अपने आवासों पर थे। एक सफेद एंबेसडर कार संसद परिसर में घुसी, और पांच आतंकवादी बाहर निकलकर गोलियां बरसाने लगे। सुरक्षा बलों ने सभी आतंकवादियों को ढेर कर दिया, लेकिन इस हमले ने पूरे देश को हिला दिया।

13 दिसंबर 2001 का दिन भारत के लोकतंत्र के लिए एक काला दिन था, और यह घटना आज भी हमारे दिलों में गहरी छाप छोड़ गई है।

संसद की सुरक्षा पर हमला: हाल की घटना

पिछले साल, 13 दिसंबर को, संसद भवन की सुरक्षा में सेंधमारी की घटना भी सामने आई थी। दो लोग दर्शक दीर्घा से संसद भवन में कूद गए और धुआं फैलाया। दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ कड़े आरोप लगाए गए। जांच जारी है, और इस घटना ने संसद की सुरक्षा को फिर से चुनौती दी।

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