16 दिसंबर से राज्यसभा में संविधान पर चल रही बहस में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कांग्रेस को निशाना बनाते हुए कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी। शीतकालीन सत्र के खत्म होने में अब सिर्फ चार दिन रह गए हैं और सरकार लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश करने के लिए तैयार है। इस बीच, नड्डा ने राज्यसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।
सरदार पटेल का उल्लेख और कांग्रेस का जवाब
जेपी नड्डा ने अपने बयान में तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र करते हुए कहा, “देश को एकजुट करने का काम सरदार पटेल को सौंपा गया था और मुझे खुशी है कि आज के दिन कांग्रेस के लोग भी सरदार पटेल का नाम ले रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पटेल ने 562 रियासतों को एकजुट किया और जम्मू-कश्मीर को तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास छोड़ दिया।
संस्कृति और संविधान की अहमियत पर टिप्पणी
नड्डा ने कहा, “जब हम संस्कृति की बात करते हैं तो कुछ लोग इसे प्रगति के खिलाफ मानते हैं। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि संविधान की मूल प्रति पर अजंता और एलोरा की गुफाओं की छाप थी। इसमें कमल की छाप भी है, जो यह बताता है कि हम कीचड़ और दलदल से निकलकर नए संविधान के साथ खड़े हुए हैं।”
संविधान के प्रति समर्पण और लोकतंत्र का महत्व
जेपी नड्डा ने यह भी कहा, “हमारे द्वारा मनाए जाने वाले त्योहार संविधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। यह हमें हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है। भारत न केवल सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि यह लोकतंत्र की जननी भी है।”
नतीजा
जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कांग्रेस को घेरते हुए सरदार पटेल और संविधान की अहमियत को उजागर किया, साथ ही संविधान के प्रति समर्पण की बात की। उनके बयान ने कांग्रेस और विपक्ष को जवाब देने के लिए मजबूर किया, और यह बहस देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर नए दृष्टिकोण से प्रकाश डालने का एक अवसर बन गया।