सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, गिरिराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे वरिष्ठ नेताओं सहित कुल 20 भाजपा सांसदों को मंगलवार को एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक पेश किए जाने के दौरान लोकसभा में अनुपस्थित रहने के कारण कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी ने सभी सांसदों को सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था, लेकिन इन सांसदों की अनुपस्थिति से पार्टी को चौंका दिया है। इस पर भाजपा ने इन सांसदों को पार्टी के आदेशों की अवहेलना करने के लिए नोटिस भेजने की तैयारी की है।
विधेयक पर लोकसभा में गर्म बहस
एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने तीखी बहस के बीच लोकसभा में पेश किया। विपक्ष ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे “तानाशाही” और भारत के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया। बावजूद इसके, संविधान (129वां संशोधन) विधेयक को 90 मिनट की बहस और मत विभाजन के बाद 269 मतों के पक्ष में और 198 मतों के विपक्ष में पारित कर दिया गया।
सरकार का पक्ष
मेघवाल ने बहस के दौरान उठाई गई चिंताओं का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक राज्यों की स्वायत्तता या शक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। इसके साथ ही, दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ जोड़ने के उद्देश्य से केंद्र शासित प्रदेश संशोधन विधेयक भी पेश किया गया। मेघवाल ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि विधेयक मूल संरचना सिद्धांत का उल्लंघन करता है और जोर दिया कि यह कानून संवैधानिक सिद्धांतों का पालन करता है।
विपक्ष का विरोध
विपक्ष ने विधेयक के खिलाफ जोरदार हमला किया और आरोप लगाया कि सरकार संविधान में संशोधन के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत जुटाने में विफल रही। कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कहा कि सरकार कुल 461 में से 307 वोट ही जुटा पाई, जो दो-तिहाई बहुमत के लिए आवश्यक था। शशि थरूर ने भी इसी बात को दोहराया, और सरकार से आग्रह किया कि वह विधेयक को लागू करने में अधिक दबाव न डाले।
आगामी रणनीति
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास वर्तमान में 293 सांसद हैं, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारत गठबंधन के पास 234 सांसद हैं। विपक्ष के अनुसार, पूरी उपस्थिति के बावजूद, एनडीए के पास संविधान में संशोधन करने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं है। भाजपा को वाईएसआर कांग्रेस और अकाली दल से समर्थन की आवश्यकता हो सकती है, दोनों दलों ने समर्थन देने का वादा किया है।
विधेयक को अब एक संयुक्त समिति के पास भेजे जाने की संभावना है, जिसमें भाजपा का सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व होगा, जिससे पार्टी विचार-विमर्श का नेतृत्व कर सकेगी।
एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक ने भारतीय राजनीति में गर्म बहस को जन्म दिया है। इसके लागू होने के बाद, यह देखना होगा कि विपक्ष और सरकार के बीच आने वाले समय में क्या बदलाव होते हैं और क्या भाजपा इसे प्रभावी तरीके से पारित करवा पाती है।