केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की धमकी दी, जबकि उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM), को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। हालांकि, राजनीति गरमाने पर उन्होंने अपने बयान से पलटते हुए दावा किया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
राजग में सम्मान न मिलने का आरोप
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुंगेर जिले में आयोजित जनसभा के दौरान भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से अपनी पार्टी के लिए सीट बंटवारे में उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “झारखंड और दिल्ली में हमें कुछ नहीं मिला। क्या यह न्याय है?” मांझी ने यह भी कहा कि उन्हें इन राज्यों में नजरअंदाज किया गया क्योंकि उनकी पार्टी का वहां कोई प्रभाव नहीं था।
मंत्रिमंडल छोड़ने का संकेत
मांझी ने अपने बयान में रामायण के श्लोक का हवाला देते हुए कहा, “लगता है कि मंत्रिमंडल हमें छोड़ना पड़ेगा।” हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसी भी प्रकार के टकराव में नहीं हैं और उनका उद्देश्य केवल अपनी पार्टी के लिए उचित सम्मान की मांग करना है।
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी
मांझी ने यह भी कहा कि वह इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के लिए 40 सीटों की मांग कर रहे हैं। उनका कहना था कि अगर उनकी पार्टी 20 सीटें भी जीतती है, तो वह अपनी मांगों को पूरा करवा पाएंगे।
नीतीश सरकार और दलित समुदाय की स्थिति
मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ने कई अच्छे काम किए हैं, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान दलित समुदाय के लिए किए गए वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं।
मीडिया द्वारा बयान का तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाना
मांझी ने अपने बयान के बाद पलटते हुए ट्वीट किया कि कुछ समाचार पोर्टल और चैनल्स ने उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। उन्होंने कहा कि उनका इरादा कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ छोड़ने का नहीं है।
राजद का जवाब
इस बीच, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने मांझी से कहा कि यदि वह दलितों के लिए बेहतर सौदे की तलाश में हैं, तो उन्हें भाजपा की सत्ता से बाहर निकलकर सामाजिक न्याय की लड़ाई में शामिल होना चाहिए, जिसकी अगुवाई राजद के नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव कर रहे हैं।
जीतन राम मांझी की यह बयानबाजी और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे बिहार और राष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं। उनके द्वारा लगाए गए आरोपों और उनकी भविष्यवाणियों के बाद, यह देखना होगा कि आगे राजनीतिक समीकरण कैसे बदलते हैं।