विनय ने ऑफिस से आते ही घर में घुसते हुए आवाज लगाई….सीमा जल्दी से चाय बना दो कड़ाके की ठंड है आज तो…मैंने चाय का पानी पहले ही चढ़ाया हुआ था…हम दोनो साथ में चाय पीने हॉल में बैठ गये। इतने में मेरा आठ साल का बेटा विशु भागते हुए घर में आया व सीधा कमरे में चला गया व वहाँ से नया कंबल उठाया व फिर से बाहर निकल गया मैं आवाज देती रह गयी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कर क्या रहा है…
मैं व विनय उसके आने का इंतजार करने लगे,वो वापस खाली हाथ आया तो,मैंने जोर से चिल्लाकर पूछा कि कंबल कहाँ है विशू,वो बोला मम्मा जो चौकीदार बाबा है वो इतने बूढ़े है और ठंड से ठिठुर रहे थे। तो मैं उनको कंबल दे आया ओढ़ने के लिये। मैंने कहा तो बताना तो चाहिए…
मैं सुबह पुराना कंबल अंदर से निकाल देती देखकर नया देने की क्या जरूरत थी,वो बोला मम्मा जरुरत तो उन्हे अभी थी ना…”इतनी ठंड में हम दरवाजे भी नही खोलते वो बाहर रात में कैसे बैठते बिना कंबल के उन्हे कुछ हो जाता तो।
.कितनी सच्चाई थी उस बच्चे की बातों में ये सोच मैं व विनय निशब्द से हो गये थे…!
शिक्षा :- सच्ची मदद वही जब आप अपनी प्रिय वस्तुओं का दान करें ।