अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सभी अमेरिकी सैन्य सहायता को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही अमेरिका रूस को प्रतिबंधों से राहत देने की योजना भी बना रहा है। इतना ही नहीं, अमेरिका ने रूस के खिलाफ आक्रामक साइबर अभियानों को रोकने का आदेश भी जारी किया है।
यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता पर रोक
ट्रंप के इस फैसले के पीछे मुख्य कारण यूक्रेन के साथ ओवल ऑफिस में हुई उनकी बैठक बताई जा रही है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले से यूक्रेन को दिए जाने वाले “एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के हथियार और गोला-बारूद” की आपूर्ति प्रभावित होगी। जब तक ट्रंप को यह भरोसा नहीं हो जाता कि यूक्रेन रूस के साथ शांति वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, 24 फरवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद से अमेरिका अब तक 65.9 अरब अमेरिकी डॉलर की सैन्य सहायता दे चुका है। ऐसे में यह फैसला यूक्रेन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
रूस को प्रतिबंधों से मिलेगी राहत
व्हाइट हाउस ने अपने अधिकारियों और ट्रेजरी विभाग को उन प्रतिबंधों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिन पर आने वाले दिनों में ढील दी जा सकती है। अमेरिका रूस के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंध सुधारने पर भी विचार कर रहा है।
रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक है और अगर उसकी ऊर्जा प्रणाली पर प्रतिबंधों में ढील दी गई, तो इससे वैश्विक ईंधन की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप प्रशासन पहले किन प्रतिबंधों को हटाने की योजना बना रहा है।
रूस के खिलाफ साइबर अभियान रोका
अमेरिका ने रूस के खिलाफ आक्रामक साइबर अभियानों को रोक दिया है, जिससे यह मुद्दा एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया है। डेमोक्रेटिक सांसद इस फैसले पर पेंटागन से जवाब मांग रहे हैं। साइबर अभियानों के माध्यम से आमतौर पर विरोधी देशों के कंप्यूटर नेटवर्क को बाधित किया जाता है, लेकिन अब यह गतिविधियां रोक दी गई हैं।
जेलेंस्की की सुरक्षा गारंटी की मांग
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उन्हें “सच्ची और न्यायसंगत शांति” चाहिए, लेकिन बिना सुरक्षा गारंटी के यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा गारंटी की कमी के कारण ही रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा किया और अब युद्ध को आगे बढ़ा रहा है। जेलेंस्की ने यूरोपीय सहयोगियों के साथ मिलकर काम जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई, जिससे शांति स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।