जहां महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर विवाद जारी है, वहीं अब दिल्ली में तुगलक लेन का मुद्दा गरमा गया है। राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा और केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने अपने दिल्ली स्थित सरकारी आवास के बाहर तुगलक लेन की जगह विवेकानंद मार्ग लिखवा दिया। इस कदम के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
भाजपा का तर्क: आक्रांताओं के नाम पर सड़कों का नाम बदलना जरूरी
भाजपा नेताओं का कहना है कि सभी मार्गों और सड़कों के नाम, जो मुगल आक्रांताओं के नाम पर रखे गए हैं, उन्हें बदला जाना चाहिए। उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का कदम बताया।
विपक्ष का पलटवार: भाजपा सिर्फ नाम बदलने की राजनीति करती है
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा के पास नाम बदलने के अलावा कोई और काम नहीं है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने इसे साम्प्रदायिक राजनीति करार दिया और कहा कि भाजपा को असली मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
पहले भी बदले गए हैं दिल्ली में सड़क और स्थानों के नाम
2015: भाजपा सांसद महेश गिरी के आग्रह पर औरंगजेब रोड का नाम बदलकर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया था।
2023: राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान रखा गया था।
भाजपा नेताओं की सफाई: यह सिर्फ एक सामान्य प्रक्रिया
भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि नेमप्लेट बदलने का उनका कोई इरादा नहीं था। उन्होंने बताया कि आसपास के घरों पर विवेकानंद मार्ग लिखा था, इसलिए पेंटर ने वही नाम लिख दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सांसदों को सड़क का नाम बदलने का अधिकार नहीं है, यह नगर निकाय और राज्य सरकार का कार्यक्षेत्र है।
केशव प्रसाद मौर्य का बयान: दिल्ली में नाम बदलने का सही समय आ गया
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा नेताओं के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली में भी नाम बदलने का सही समय आ गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में डबल इंजन सरकार है, जो तुष्टीकरण की राजनीति नहीं करती।
क्या तुगलक लेन का नाम आधिकारिक रूप से बदलेगा?
फिलहाल सरकारी स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन भाजपा नेताओं के इस कदम ने एक बार फिर इतिहास और राजनीति को लेकर बहस छेड़ दी है।