पोर्ट लुइस,: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मॉरीशस यात्रा के दौरान मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मॉरीशस के राष्ट्रपति धर्मवीर गोकुल से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने मॉरीशस के राष्ट्रपति को महाकुंभ का गंगाजल दिया। इस दौरे में उन्होंने मॉरीशस के राष्ट्रपति को मिथिला मखाना, बनारसी साड़ी और भगवान गणेश की प्रतिमा भेंट की। यह कदम न केवल भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि बिहार के लिए गर्व का विषय भी बन गया है।
मिथिला मखाना, जो बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की पहचान है, को पीएम मोदी ने एक सुपरफूड के रूप में स्थापित किया है। मखाना न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि स्थानीय किसानों की मेहनत का प्रतीक भी है। बनारसी साड़ी, जो भारतीय हस्तकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है, और भगवान गणेश की प्रतिमा, जो आध्यात्मिकता और शुभता का संदेश देती है, इन उपहारों ने मॉरीशस में भारतीय संस्कृति की गहरी छाप छोड़ी। मॉरीशस, जहां भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, वहां यह भेंट सांस्कृतिक एकता को और प्रगाढ़ करेगी। यह कदम दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और भावनात्मक बंधन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
बिहार के लिए गर्व का क्षण
बिहार के लिए यह इसलिए खास है, क्योंकि मिथिला मखाना जैसा स्थानीय उत्पाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है। पीएम मोदी ने हाल ही में कहा था कि वे साल में 300 दिन मखाना खाते हैं, जिससे इसकी लोकप्रियता और मांग बढ़ी है। मखाना किसानों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, क्योंकि इससे उनकी आजीविका को बढ़ावा मिलेगा। यह बिहारवासियों के लिए गर्व की बात है कि उनकी संस्कृति को पीएम मोदी ने इतने बड़े मंच पर सम्मानित किया।
मॉरीशस में पहले से ही भोजपुरी संस्कृति की मजबूत मौजूदगी है, जहां गीत गवई जैसी परंपराएं फल-फूल रही हैं। अब मिथिला की पहचान के साथ यह सांस्कृतिक मेल और गहरा होगा। बिहार के लोग इसे अपनी जड़ों के संरक्षण और सम्मान के रूप में देख रहे हैं। बिहार की विरासत न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ रही है। पीएम मोदी का यह कदम बिहार की संस्कृति को नई पहचान देने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।