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महंगे इंटरनेट से मिलेगी छुट्टी! मस्क के साथ मिलकर अंबानी करने वाले हैं बड़ा धमाका

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बीते कुछ दिनों में टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी एक बड़ी खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। एयरटेल ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के लिए एक डील साइन की थी। इसके ठीक अगले दिन जियो ने भी स्टारलिंक के साथ एग्रीमेंट करने की घोषणा कर दी।

इसका मतलब यह है कि भारत की दो सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियां, जियो और एयरटेल, अब यूएस-बेस्ड स्टारलिंक के साथ मिलकर भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा को विकसित करने वाली हैं। इससे इंटरनेट की स्पीड, कवरेज और कीमतों में बड़ा बदलाव आ सकता है।

स्टारलिंक क्या है और यह कैसे काम करता है?

स्टारलिंक एक सैटेलाइट-बेस्ड इंटरनेट सर्विस है, जो लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के जरिए इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करता है।

पारंपरिक ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क जहां टावर और केबल पर निर्भर होते हैं, वहीं स्टारलिंक सीधे सैटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट ट्रांसमिट करता है।

उपयोगकर्ताओं को स्टारलिंक डिश और राउटर की जरूरत होगी, जो सैटेलाइट से सिग्नल रिसीव करेगा।

यह सेवा दूरदराज के इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने में मददगार साबित होगी।

भारत में स्टारलिंक की कीमत कितनी होगी?

विभिन्न देशों में स्टारलिंक की कीमतें अलग-अलग हैं:

भूटान में ₹3,000 प्रति माह (स्पीड: 23-100 Mbps)

केन्या में ₹872 प्रति माह

अमेरिका में ₹10,466 प्रति माह

भारत में अभी तक आधिकारिक कीमतों की घोषणा नहीं हुई है।

2022 में, स्टारलिंक के कंट्री डायरेक्टर संजय भार्गव ने अनुमान लगाया था कि इसकी कीमत ₹9,000 प्रति माह हो सकती है।

टेलीकॉम विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में स्टारलिंक की सेवा ₹3,500 से ₹4,500 प्रति माह के बीच हो सकती है।

यह कीमत भारतीय ब्रॉडबैंड सेवाओं से कई गुना अधिक है।

रेट कम करने के लिए जियो-एयरटेल की साझेदारी

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में स्टारलिंक की सफलता इसकी किफायती कीमतों पर निर्भर करेगी।

एलन मस्क भारतीय मार्केट में प्रतिस्पर्धा के चलते कीमतें ज्यादा नहीं रख सकते।

भारत सरकार की डिजिटल समावेशन पहल के तहत, यह सेवा ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में तेजी से फैल सकती है।

जियो और एयरटेल की साझेदारी से लागत कम करने में मदद मिलेगी, जिससे यह सेवा अधिक किफायती हो सकती है।

भारत में डिजिटल क्रांति की ओर एक कदम

यदि यह साझेदारी सरकार की मंजूरी प्राप्त कर लेती है, तो यह भारत के इंटरनेट परिदृश्य में बड़ा बदलाव ला सकती है।

दूरदराज के क्षेत्रों, स्कूलों, व्यवसायों और स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और तेज़ इंटरनेट मिल सकता है।

यह डिजिटल इंडिया मिशन को और मजबूती देगा।

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ने से मौजूदा ब्रॉडबैंड सेवाओं को भी प्रतिस्पर्धा मिलेगी।

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