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Motivational Story – सबसे बड़ी प्रार्थना

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एक जादूगर जो मृत्यु के करीब था, मृत्यु से पहले अपने बेटे को चाँदी के सिक्कों से भरा थैला दिया और बोला, “जब भी इस थैले से चाँदी के सिक्के खत्म हो जाएँ तो मैं तुम्हें एक प्रार्थना बताता हूँ, उसे दोहराने से चाँदी के सिक्के फिर से भरने लग जाएँगे।”
उसने बेटे के कान में चार शब्दों की प्रार्थना कही और मर गया। अब बेटा चाँदी के सिक्कों से भरा थैला पाकर आनंदित हो उठा और उसे खर्च करने में लग गया।  वह थैला इतना बड़ा था कि उसे खर्च करने में कई साल बीत गए, इस बीच वह प्रार्थना भूल गया। जब थैला खत्म होने को आया तब उसे याद आया कि “अरे! वह चार शब्दों की प्रार्थना क्या थी ।” उसने बहुत याद किया, उसे याद ही नहीं आया। अब वह पड़ौसियों से पूछने लगा ,”ऐसी कोई प्रार्थना तुम जानते हो क्या, जिसमें चार शब्द हैं। एक पड़ोसी ने कहा, “हाँ, एक चार शब्दों की प्रार्थना मुझे मालूम है, “ईश्वर मेरी मदद करो ।” उसने सुना और लगा ये वे शब्द नहीं थे, कुछ अलग थे। फिर भी उसने वह शब्द बहुत बार दोहराए,लेकिन चाँदी के सिक्के नहीं बढ़े ,वह बहुत दुःखी हुआ।

 

वह एक फादर से मिला, उन्होंने बताया “ईश्वर तुम महान हो” ये चार शब्दों की प्रार्थना हो सकती है, मगर इसके दोहराने से भी थैला नहीं भरा। अब वह एक नेता से मिला, उसने कहा “ईश्वर को वोट दो” यह प्रार्थना भी कारगर साबित नहीं हुई । वह बहुत उदास हुआ। उसने सभी से मिलकर देखा मगर उसे वह प्रार्थना नहीं मिली, जो पिताजी ने बताई थी।  वह उदास होकर घर में बैठा हुआ था तब एक भिखारी उसके दरवाजे पर आया और बोला,”सुबह से कुछ नहीं खाया, खाने के लिए कुछ हो तो दो।”  उस लड़के ने बचा हुआ खाना भिखारी को दे दिया । उस भिखारी ने खाना खाकर बर्तन वापस लौटाया और ईश्वर से प्रार्थना की, “हे ईश्वर ! तुम्हारा धन्यवाद ।”

 

अचानक वह चौंक पड़ा और चिल्लाया “अरे! यही तो वह चार शब्द थे ।” उसने वे शब्द दोहराने शुरू किए “हे ईश्वर तुम्हारा धन्यवाद” और उसके सिक्के बढ़ते गए… बढ़ते गए… इस तरह उसका पूरा थैला भर गया।  यहाँ दृष्टव्य है कि, जब उसने किसी की मदद की तब उसे वह मंत्र फिर से मिल गया। “हे ईश्वर ! तुम्हारा धन्यवाद ।” यही उच्च प्रार्थना है क्योंकि जिस चीज के प्रति हम धन्यवाद देते हैं, वह चीज बढ़ती है।यदि रिश्तों के लिए धन्यवाद करते हैं तो रिश्ते मजबूत होते हैं,,,पैसे के लिए धन्यवाद देते हैं तो पैसा बढ़ता है, प्रेम के लिए धन्यवाद देते हैं तो प्रेम बढ़ता है । 
 

ईश्वर या गुरूजी के प्रति धन्यवाद के भाव निकलते हैं कि ऐसा ज्ञान सुनने तथा पढ़ने का मौका हमें प्राप्त हुआ है बिना किसी प्रयास से यह ज्ञान हमारे जीवन में उतर रहा है वर्ना ऐसे अनेक लोग हैं, जो झूठी मान्यताओं में जीते हैं और उन्हीं मान्यताओं में ही मरते हैं । मरते वक्त भी उन्हें सत्य का पता नहीं चलता।उसी अंधेरे में जीते हैं, मरते हैं। “हे ईश्वर ! तुम्हारा धन्यवाद” ये चार शब्द, शब्द नहीं प्रार्थना की शक्ति हैं।यदि यह चार शब्द दोहराना किसी के लिए कठिन है तो इसे तीन शब्दों में कह सकते हैं, “ईश्वर तुम्हारा धन्यवाद।” ये तीन शब्द भी ज्यादा लग रहे हों तो दो शब्द कहें, “ईश्वर धन्यवाद !” और दो शब्द भी ज्यादा लग रहे हों तो सिर्फ एक ही शब्द कह सकते हैं, “धन्यवाद!”

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