भीषाऽस्माद्वातः पवते। भीषोदेति सूर्यः।
भीषाऽस्मादग्निश्चेन्द्रश्च। मृत्युर्धावति पञ्चम इति॥
(तैत्तिरीय उपनिषद् २/८/१)
ईश्वर के प्रभाव से वायु गतिमान है। सूर्य मानो इसी के तेज से प्रकाशित होता है। अग्नि और विद्युत् भी मानो इसी के नियन्त्रण से क्रियाशील रहते हैं। मृत्यु भी मानो इसके निर्देशन से दौड़ रही हैं।
The air moves because of the influence of God. It seems as if the sun shines due to His brightness. It seems as if fire and electricity also remain active under His control. It seems as if even death is running under His direction.