Kalashtami : भगवान काल भैरव की पूजा
कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा की जाती है। इस दिन काल भैरव देव के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, आश्विन माह की कालाष्टमी तिथि पर दुर्लभ ‘शिव’ का निर्माण हो रहा है।
Kalashtami : सर्वार्थ सिद्धि योग
कालाष्टमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल से शुरू होता है और रात्रि को समाप्त होता है। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है। इस योग के अनुसार, साधक को सर्वार्थ सिद्धि होती है।
Kalashtami : शिव योग
कालाष्टमी पर दुर्लभ शिव योग बन रहा है, जिसमें भगवान शिव की पूजा करने से व्रती को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। शिव योग का निर्माण दिन भर होता है। निशा काल में काल भैरव देव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
महत्वपूर्ण समय: सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 16 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 02 मिनट पर
पंचांग: ब्रह्म मुहूर्त, अमृत काल, अभिजीत मुहूर्त, विजय मुहूर्त, गोधूलि मुहूर्त, निशिता मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 27 मिनट तक
- अमृत काल: सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06 बजकर 02 मिनट से 06 बजकर 26 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त: रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक
- अशुभ समय: राहुकाल, गुलिक काल, दिशा शूल
- राहुकाल: सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 09 बजकर 12 मिनट तक
- गुलिक काल: दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
दिशा शूल: पश्चिम
कालाष्टमी का यह महत्वपूर्ण दिन शिव भक्ति, सर्वार्थ सिद्धि, और आशीर्वाद का संकेत है। इस दिन भगवान काल भैरव और भगवान शिव की पूजा करने से आपको अनगिनत फायदे हो सकते हैं। इसलिए, इस महत्वपूर्ण तिथि का महत्व समझ कर उसका उपयोग करें और अपने जीवन को सफलता की ओर अग्रसर करें।