एक जिज्ञासु शिष्य ने टॉल्स्टॉय से पूछा, ‘जीवन क्या है?’
टॉल्स्टॉय ने कहा, एक बार एक यात्री जंगल की राह पर चला जा रहा था। सामने से एक हाथी उसकी ओर लपका। अपने प्राण बचाने के लिए तत्काल वह एक कुएं में कूद गया। कुँए में वटवृक्ष था। उसकी एक शाखा को पकड़कर वह झूल गया।
उसने नीचे देखा साक्षात् मौत खड़ी थी। एक मगरमच्छ मुँह खोले बैठा था। भय कंपित वह मृत्यु का साक्षात् दर्शन कर रहा था। उसने ऊपर देखा-शहद के छत्ते से बूँद-बूँद मधु टपक रहा था। वह सब कुछ भूल मधु पीने में तल्लीन हो गया,
लेकिन यह क्या? जिस पेड़ से वह लटका था, उसकी जड़ को दो चूहे कुतर रहे थे- एक उजला था, दूसरा काला। जिज्ञासु ने पूछा, ‘इसका अर्थ?’ ‘तू नहीं समझा’ टॉल्स्टॉय ने कहा, ‘वह हाथी काल था, मगर मृत्यु, मधु जीवन-रस था और दो चूहे दिन-रात। बस यही तो जीवन है। शिष्य संतुष्ट हो गया।’