बच्चे की नजर खिड़की पर गई तो उसे बन्दर दिखाई दिया। बच्चे ने मां से एक रोटी ली और बंदर को डाल दिया। बन्दर रोटी खाकर चला गया। अगले दिन वो फिर से आ गया। कुछ ही दिनों में बन्दर की दोस्ती बच्चे से हो गई।
दोनों दिन भर साथ साथ खेलते और रात को बन्दर वापस जंगल लौट जाता था। एक दिन बच्चे को अपना दोस्त बहुत उदास दिखा। ना उसने रोटी खाई ना उसके साथ खेला। अगले दिन तो वो बच्चे के घर आया ही नहीं। बच्चा बहुत देर तक अपने प्यारे बन्दर का इंतजार करता रहा लेकिन जब वो नहीं आया तो वो उसे जंगल की तरफ ढूंढने निकल गया।वहां जाकर उसने देखा कि बहुत सारे लोग जंगल की कटाई कर रहे हैं। उसने एक मजदूर से पूछा तो पता चला कि उस जगह पर एक सड़क बनने वाली है इसलिए जंगल की कटाई चल रही है।
परंतु मां ने यह कहकर बंदर को घर लाने से मना कर दिया कि वो कहीं किसी को काट ना दे। बच्चा दुखी मन से वापस अपने दोस्त को ढूंढने जंगल में चला गया। वहां इधर उधर वो उसे ढूंढने लगा। तभी अचानक एक विशाल कोबरा सांप झाड़ियों के पीछे से निकलकर सामने आ धमका, बच्चा घबराकर जैसे ही पीछे हटा, सांप ने फन फैलाकर उसे डसने के लिए झपट्टा मारा, लेकिन तभी चमत्कार हो गया।
ना जाने कहां से वही बन्दर कूद कर सांप और बच्चे के बीच में आ गया और सांप ने बंदर को डस लिया। यह देखकर बच्चा जोर जोर से रोने लगा, उसका रोना सुनकर लोग इकट्ठे हो गए और सांप भाग गया। लोगों ने बंदर को तुरंत अस्पताल पहुंचाया।
अस्पताल में इलाज के बाद बन्दर स्वस्थ हो गया। बच्चे की मां को जब सारी घटना की सूचना मिली तो उसे समझ में आ गया कि बन्दर और उसके बच्चे में सचमुच गहरी दोस्ती है और बन्दर ने अपनी जान की परवाह न करके उसके बच्चे की जान बचाई है। उसने तुरंत बन्दर को अपने घर ले आने की इजाजत दे दी।
सीख : इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि सच्चे दोस्त हमेशा एक दूसरे की भलाई करते है।
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