नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) : सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, गुरु नानक जयंती विशेष महत्वपूर्ण है। गुरु नानक जी, सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था। इसलिए, हर साल कार्तिक पूर्णिमा को उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिसे ‘गुरु नानक जयंती’ और ‘गुरु पर्व’ भी कहा जाता है। इस अवसर पर सिख समुदाय भगवान नानक की शिक्षाओं का समर्थन करता है और उनके जीवन और दर्शन को याद करता है।
इस दिन मनाई जाएगी गुरु नानक जयंती
कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 26 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इसका समापन 27 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार श्री गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव 27 नवंबर, सोमवार के दिन मनाया जाएगा।गुरु नानक जयंती का महत्व
श्री गुरु नानक देव जी ने ही मानवता को सर्वोपरि रखा। इसी के चलते उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। उन्होंने अपने पूरे जीवन में मानवता, समृद्धि और सामाजिक न्याय की निस्वार्थ सेवा का प्रचार किया। साथ ही यह भी माना जाता है कि गुरु नानक देव जी ने ही लंगर की प्रथा भी शुरू की थी। यही कारण है कि गुरु नानक जयंती, सिख धर्म के सबसे प्रमुख पर्व में से एक है।
कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 26 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इसका समापन 27 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार श्री गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव 27 नवंबर, सोमवार के दिन मनाया जाएगा।गुरु नानक जयंती का महत्व
श्री गुरु नानक देव जी ने ही मानवता को सर्वोपरि रखा। इसी के चलते उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। उन्होंने अपने पूरे जीवन में मानवता, समृद्धि और सामाजिक न्याय की निस्वार्थ सेवा का प्रचार किया। साथ ही यह भी माना जाता है कि गुरु नानक देव जी ने ही लंगर की प्रथा भी शुरू की थी। यही कारण है कि गुरु नानक जयंती, सिख धर्म के सबसे प्रमुख पर्व में से एक है।
इस तरह मनाई जाता है यह खास दिन
गुरु नानक जयंती केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि यह पर्व तीन दिन चलता है। जिसमें गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान सिख समुदाय की आध्यात्मिक पुस्तक अर्थात श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का लगातार 48 घंटे तक पाठ किया जाता है। गुरु नानक के जन्मदिन से एक दिन पहले नगर कीर्तन जुलूस निकाला जाता है।
इस दौरान सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में ले जाया जाता है। इस पर्व के दौरान लोग सुबह-सुबह आसा-दी-वार गाते हैं। दोपहर में लंगर तैयार की व्यवस्था की जाती है, जिसमें जरूरतमंदों को खाना खिलाया जाता है। इस तरह दूसरों की सेवा द्वारा ही गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाता है।