आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने मर्यादा का ध्यान नहीं रखा। महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक सच्चा सेवक (जो लोगों की सेवा करता है) कभी अहंकार नहीं दिखाता और सार्वजनिक जीवन में हमेशा मर्यादा बनाए रखता है। इंडियन एक्सप्रेस ने संघ प्रमुख के हवाले से कहा कि एक सच्चा सेवक काम करते समय मर्यादा बनाए रखता है। जो मर्यादा रखता है वह अपना काम करता है, लेकिन अनासक्त रहता है। इसमें कोई अहंकार नहीं है कि मैंने ये किया। केवल ऐसे व्यक्ति को ही सेवक कहलाने का अधिकार है।
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में हिंसा प्रभावित मणिपुर का भी जिक्र किया और कहा कि राज्य एक साल से अधिक समय से शांति का इंतजार कर रहा है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, “मणिपुर अब एक साल से शांति की तलाश में है। इस पर प्राथमिकता से चर्चा होनी चाहिए। पिछले 10 वर्षों से राज्य शांतिपूर्ण था। ऐसा लगा जैसे पुरानी ‘बंदूक संस्कृति’ ख़त्म हो गई हो। वहां अचानक जो तनाव बढ़ गया या फिर भड़का दिया गया, उसकी आग में वह अब भी जल रहा है। उस पर कौन ध्यान देगा? इसे प्राथमिकता देना और इस पर ध्यान देना कर्तव्य है।”
उनकी यह टिप्पणी नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन बाद आई है। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा देखी जा रही है। मोहन भागवत ने कहा कि चुनावी राजनीति एक प्रतियोगिता है, युद्ध नहीं। चुनाव लोकतंत्र की एक अनिवार्य प्रक्रिया है, इसमें दो दल होते हैं इसलिए प्रतिस्पर्धा होती है। एक को आगे बढ़ाने और दूसरे को पीछे धकेलने का काम होता है। इसका उपयोग न करें, लोग निर्वाचित क्यों हो रहे हैं? वे संसद में जाकर बैठेंगे और देश को चलाएंगे, सर्वसम्मति बनाकर चलाएंगे। हमारी परंपरा सर्वसम्मति बनाकर चलाने की है।