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नई दिल्ली (नेशनल थॉटस) : बड़ा सवाल ये है कि आखिर स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव भाजपा और आप दोनों के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है कि इसे लेकर रातभर सदन में हंगामा हुआ। आइए जानते है कैसे होता स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव……
6 सदस्यों की ऐसे होती है वोटिंग
स्टैंडिंग कमेटी में कुल 18 सदस्य होते हैं जिनमें से छह का चुनाव तो निगम के पार्षद सदन की पहली बैठक में वोटिंग के माध्यम से करते हैं। यह वोटिंग गुप्त होती है और इनका चुनाव राज्यसभा सदस्यों की तरह वरीयता के आधार पर होता है। दरअसल पार्षदों को अपने उम्मीदवारों को बैलेट पेपर पर वरीयता के हिसाब से 1,2,3 नंबर देने होते हैं। अगर पहली वरीयता के आधार पर चुनाव नहीं हो पाता तो दूसरे और तीसरे वरीयता के वोट की काउंटिंग आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर की जाती है।
स्टैडिंग कमेटी के 12 सदस्य ऐसे चुने जाते हैं
18 में से 12 सदस्यों को अलग-अलग जोन से चुनकर लाया जाता है। जोन की मीटिंग में मनोनीत पार्षदों को भी वोटिंग का अधिकार मिल जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना मनोनीत पार्षदों के आम आदमी पार्टी 12 में से 8 सीट पर अपने सदस्य आसानी से ले आती, वहीं भाजपा को चार जोन में जीत हासिल होती। लेकिन उपराज्यपाल द्वारा जारी नोटिस के बाद मनोनीत पार्षदों को सिर्फ तीन जोन में नियुक्त किया गया है जिससे भाजपा की चार के बजाय 7 सीट जीतने की प्रबल संभावना है।
18 में से 12 सदस्यों को अलग-अलग जोन से चुनकर लाया जाता है। जोन की मीटिंग में मनोनीत पार्षदों को भी वोटिंग का अधिकार मिल जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना मनोनीत पार्षदों के आम आदमी पार्टी 12 में से 8 सीट पर अपने सदस्य आसानी से ले आती, वहीं भाजपा को चार जोन में जीत हासिल होती। लेकिन उपराज्यपाल द्वारा जारी नोटिस के बाद मनोनीत पार्षदों को सिर्फ तीन जोन में नियुक्त किया गया है जिससे भाजपा की चार के बजाय 7 सीट जीतने की प्रबल संभावना है।